नयी दिल्ली : कर्नाटक में सरकार बनाने के लिये भारतीय जनता पार्टी के नेता येदियुरप्पा को आमंत्रित करने के राज्यपाल के फैसले को अब पूर्व कानून मंत्री और वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. जेठमलानी का कहना है कि यह सांविधानिक अधिकार का दुरूपयोग है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा , न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने आज राम जेठमलानी की दलीलों पर विचार किया.
पीठ ने कहा कि तीन सदस्यीय विशेष पीठ ने गुरुवार सवेरे तक इस मामले पर सुनवाई की है और अब यह पीठ कल फिर सुनवाई करेगी. पीठ ने जेठमलानी से कहा कि वह न्यायमूर्ति ए के सिकरी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय विशेष खंडपीठ के समक्ष 18 को अपनी दलीलें रख सकते हैं जब कांगेस पाटी की याचिका पर आगे सुनवाई होगी.
वरिष्ठ अधिवक्ता ने इस मामले मे अपना पक्ष पेश करने की अनुमति मांगते हुए कहा कि राज्यपाल का आदेश सांविधानिक अधिकार का घोर दुरूपयोग है और यह उस सांविधानिक पद का असम्मान किया है जिस पर वह आसीन है. उन्होंने कहा कि वह किसी पार्टी के पक्ष या विरोध में नहीं आये हैं बल्कि वह राज्यपाल के इस असंवैधानिक फैसले से आहत हुए हैं.
न्यायमूर्ति ए के सिकरी , न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायूर्ति अशोक भूषण की तीन सदस्यीय विशेष खंडपीठ ने आज तड़के करीब तीन घंटे तक कांग्रेस की याचिका पर सुनवाई के बाद येदुयुरप्पा को मुख्यमंत्री पद की शपथ पर रोक लगाने से इंकार कर दिया.
कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा के पास सिर्फ 104 विधायक होने के बावजूद राज्यपाल ने असंवैधानिक तरीके से येदियुरप्पा को सरकार बनाने के लिये आमंत्रित किया जबकि जद (ए स ) के एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली जद (ए स ) और कांग्रेस गठबंधन के पास 116 विधायक हैं. कर्नाटक विधान सभा के 12 मई को संपन्न चुनाव में भाजपा 104 सदस्यों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है जबकि कांग्रेस के पास 78 और जद (ए स ) के 37 सदस्य हैं.