मणिपुर Fake Encounter मामले में रक्षा मंत्रालय से नाराज सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर अप्रसन्नता जतायी है कि रक्षा मंत्रालय ने उन पत्रों का जवाब देना भी मुनासिब नहीं समझा, जो उसे सीबीआई के एक विशेष जांच दल (एसआईटी ) ने लिखे थे. एसआईटी सेना, असम राइफल्स एवं पुलिस द्वारा मणिपुर में की गयी कथित न्यायेत्तर हत्याओं एवं फर्जी मुठभेड़ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 19, 2018 8:15 PM

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर अप्रसन्नता जतायी है कि रक्षा मंत्रालय ने उन पत्रों का जवाब देना भी मुनासिब नहीं समझा, जो उसे सीबीआई के एक विशेष जांच दल (एसआईटी ) ने लिखे थे. एसआईटी सेना, असम राइफल्स एवं पुलिस द्वारा मणिपुर में की गयी कथित न्यायेत्तर हत्याओं एवं फर्जी मुठभेड़ की जांच कर रही है. न्यायमूर्ति बी लोकुर और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने एसआईटी से इन मामलों में उसकी जांच को 30 जून तक पूरा करने को कहा है. ये मामले राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, न्यायिक जांच तथा गुवाहाटी हाईकोर्ट के निष्कर्षों से संबंधित हैं.

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अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल (एएसजी ) मनिंदर सिंह ने सीबीआई की तरफ से पेश होते हुए पीठ से कहा कि वह इस मुद्दे को रक्षा मंत्रालय के समक्ष उठायेंगे, ताकि आवश्यक सहयोग सुनिश्चित किया जा सके. पीठ ने अपने आदेश में कहा कि हमने (एसआईटी द्वारा दाखिल) स्थिति रिपोर्ट संख्या पांच देखी, जिसमें एसआईटी ने रक्षा मंत्रालयों को कुछ मामलों में फरवरी 2018 को पत्र लिखे थे, लेकिन रक्षा मंत्रालय ने इन पत्रों का जवाब तक देना गंवारा नहीं समझा.

अदालत ने कहा कि एएसजी ने कहा कि वह इस मामले को रक्षा मंत्रालय के समक्ष उठायेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि आवश्यक सहयोग प्रदान किया जाये. पत्रों का तत्परता से जवाब दिया जाये. हम उम्मीद करते हैं कि रक्षा मंत्रालय एसआईटी के साथ पूरी तरह सहयोग करेगा. पीठ ने मामले की सुनवाई दो जुलाई को सूचीबद्ध की है. सिंह ने अदालत को बताया कि एसआईटी मणिपुर के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को दस्तावेजों की एक सूची सौंपेगी. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी सामग्री जांच दल को उपलब्ध हो जाएं या इस बात का स्पष्टीकरण दिया जाये कि कौन से दस्तावेज उपलब्ध नहीं होंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी के प्रभारी शरद अग्रवाल को यह निर्देश दिया कि वह एक सप्ताह के भीतर सूची तैयार करें. अदालत ने कहा कि उसे उम्मीद है कि पूर्वोत्तर राज्य के मुख्य सचिव एवं डीजीपी तीन सप्ताह के भीतर सकारात्मक रूप से जवाब देंगे. अदालत एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें मणिपुर में न्यायेत्तर हत्याओं के 1528 मामलों की जांच करवाने का अनुरोध किया गया है. अदालत ने पिछले साल 14 जुलाई को एसआईटी गठित कर ऐसे मामले में प्राथमिकी जांच करवाने का निर्देश दिया था.

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