कर्नाटक का ”नाटक” : भाजपा ऐसे बिगाड़ सकती है जेडीएस-कांग्रेस का खेल, जानें…

नयी दिल्ली : कर्नाटक का ड्रामा अभी खत्म नहीं हुआ है. सूबे में बहुमत परीक्षण में असफल होने के बाद भी भाजपा ने अभी सरकार बनाने के उम्मीद नहीं छोड़ी है. बुधवार को कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार सूबे में शपथ लेने जा रही है जिसके मुखिया एचडी कुमारस्वामी होंगे. इन तमाम घटनाक्रम के बावजूद भाजपा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 22, 2018 12:16 PM

नयी दिल्ली : कर्नाटक का ड्रामा अभी खत्म नहीं हुआ है. सूबे में बहुमत परीक्षण में असफल होने के बाद भी भाजपा ने अभी सरकार बनाने के उम्मीद नहीं छोड़ी है. बुधवार को कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की सरकार सूबे में शपथ लेने जा रही है जिसके मुखिया एचडी कुमारस्वामी होंगे. इन तमाम घटनाक्रम के बावजूद भाजपा विपक्षी खेमे के विधायकों में कम्युनिटी, लिंगायत और आदिवासी कार्ड खेलने के प्रयास में है. ऐसा करके वह कांग्रेस-जेडीएस का खेल खराब करने में लगी है. कांग्रेस और जेडीएस को भी इस बात का डर सता रहा है और वे अपने विधायकों को समझाने में जुटे हुए हैं.

ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि गंठबंधन के सरकार के गठन के बाद भी कर्नाटक का नाटक जारी रह सकता है. भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अमित शाह का भी मानना है कि उनकी पार्टी कांग्रेस को झटका दे सकती है. शाह ने सोमवार को कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों को ‘नजरबंद’ करने पर तंज कसते हुए कहा था कि होटल रूम में बंद विधायकों को अगर अभी भी खुला छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस-जेडीएस बहुमत के आंकड़े से दूर नजर आएगी. कांग्रेस और जेडीएस के बीच अचानक बने इस गठबंधन से विधायकों में नाराजगी है. विधायकों को जीत का जश्न भी माने नहीं दिया जा रहा है.

बताया जा रहा है कि कुमारस्वामी की सरकार में कर्नाटक कांग्रेस चीफ जी परमेश्वरा डेप्युटी सीएम बन सकते हैं. परमेश्वरा दलित हैं. लेकिन भाजपा ने राज्य में लिंगायत को डेप्युटी सीएम बनाने का पासा फेंका है. यहां चर्चा कर दें कि कांग्रेस में सबसे ज्यादा लिंगायत विधायक हैं. कांग्रेस के 16 विधायक लिंगायत समुदाय से हैं वहीं, वोक्कालिगा समुदाय से 11 विधायक हैं. कुमारस्वामी वोक्कालिगा हैं.

ऐसी खबरें भी मीडिया में है कि कैबिनेट में मुस्लिमों को भी बड़ा प्रतिनिधित्व दिये जाने की तैयारी की जा रही है. कांग्रेस में 7 विधायक मुस्लिम हैं. भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि येदियुरप्पा के इस्तीफे के बाद भी बात पूरी तरह खत्म नहीं मानी जानी चाहिए. कर्नाटक में बाजी तो अभी शुरू हुई है और आगे बाजी चलेगी… इस खेल से राष्ट्रीय राजनीति में बदलाव देखने को मिलेंगे. गौर हो कि अमित शाह ने सोमवार को कहा था कि जनादेश कांग्रेस के खिलाफ था. भाजपा को रोकने के लिए ये दल एकजुट हुए हैं और सरकार बनाने की तैयारी में हैं. लेकिन यह कोशिश बैकफायर करेगी क्योंकि उन्हें जनता का समर्थन नहीं है.

कांग्रेस को भी डर सता रहा है कि भाजपा उसके सरकार गठन में खलल डाल सकती है और उसने डैमेज कंट्रोल की कोशिश भी शुरू कर दी है. इसी क्रम में मंगलवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार ने विजयनगर से कांग्रेस के विधायक आनंद सिंह से बेंगलुरु के हिल्टन होटल में मुलाकात की. इधर , वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद, डी के शिवकुमार और पूर्व सीएम सिद्धारमैया विधायकों को समझाने में व्यस्त हैं कि वे भाजपा की चाल में न आयें. कुमारस्वामी ने भी माना कि भाजपा कुछ खेल कर सकती है. उन्होंने कहा कि ‘हां भाजपा कुछ कर सकती है लेकिन मेरा मानना है कि हम बहुमत परीक्षण जीत लेंगे और सरकार का गठन कर लेंगे. हालांकि वे मंत्रिमंडल के गठन के बारे में कुछ भी बोलने से बचते दिखे. लेकिन उन्होंने यह जरूर माना कि दो डेप्युटी सीएम को लेकर दबाव जरूर है.

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