नवीन ने चौथी बार ओडिशा के सीएम पद की शपथ ली

भुवनेश्वर : ओडिशा विधानसभा चुनावों में बीजद को शानदार जीत दिलाने वाले नवीन पटनायक ने लगातार चौथे कार्यकाल के लिए आज मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. राज्यपाल एस सी जमीर ने राजभवन में पटनायक और 21 मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई. प्रदीप कुमार आमत, दामोदर राउत, देबी प्रसाद मिश्रा, प्रदीप महारथी, बिजयश्री […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 21, 2014 7:42 AM

भुवनेश्वर : ओडिशा विधानसभा चुनावों में बीजद को शानदार जीत दिलाने वाले नवीन पटनायक ने लगातार चौथे कार्यकाल के लिए आज मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. राज्यपाल एस सी जमीर ने राजभवन में पटनायक और 21 मंत्रियों को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई.

प्रदीप कुमार आमत, दामोदर राउत, देबी प्रसाद मिश्रा, प्रदीप महारथी, बिजयश्री राउत्रे, बिक्रम केशरी अरुख, उषा देवी, लाल बिहारी हिमरिका, जोगेंद्र बेहरा, बद्री नारायण पात्र और पुष्पेंद्र सिंहदेव ने कैबिनेट मंत्रियों के तौर पर शपथ ग्रहण की. शेष 10 ने राज्य मंत्रियों के तौर पर शपथ ग्रहण की.

पूर्ववर्ती मंत्रिमंडल के पांच सदस्यों को इस बार नयी टीम में शामिल नहीं किया गया है. नयी टीम में कैबिनेट मंत्री जोगेंद्र बेहरा समेत आठ ऐसे मंत्रियों को जगह दी गई है जो पहली बार मंत्री बने हैं. इससे पहले कैबिनेट दर्जे के मंत्री रहे सूर्य नारायण पात्रो, माहेश्वर मोहंती और निरंजन पुजारी और राज्य मंत्री रहे रजनीकांत सिंह और सुब्रत तराई को इस बार मंत्री पद नहीं मिला है. प्रणब प्रकाश दास, सुदाम मरांडी, प्रफुल्ल मलिक, स्नेहनगिनी छुरिया, प्रदीप पाणिग्रही, अशोक पांडा और संजय दास बर्मा पहली बार मंत्री बने हैं.

* नवीन पटनायक: अनिच्छुक उत्तराधिकारी से चार बार के मुख्यमंत्री तक का सफर

कभी राजनीति के नौसिखिया और 1997 में बीजू पटनायक की विरासत के अनिच्छुक उत्तराधिकारी माने जाने वाले नवीन पटनायक आज राजनीति के विशारद बन गए हैं और इसी की बदौलत वह लगातार चौथी बार मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे हैं.

खनन और चिट फंड सहित सिलसिलेवार घोटालों और मनरेगा में अनियिमितताओं के आरोपों से अप्रभावित पटनायक ने अपनी पार्टी बीजू जनता दल (बीजद) को विधानसभा और लोकसभा चुनाव में शानदार जीत दिलाई. उनकी पार्टी ने विधानसभा की 147 में से 117 और लोकसभा की 21 में से 20 सीटों पर जीत का झंडा फहराया.

पटनायक (67) ने पार्टी के अंदरुनी मामलों को प्रभावी ढंग से निपटाया और विपक्ष का मुकाबला किया तथा हर चुनाव में बीजद की लोकप्रियता को बढाया. क्षेत्रीय पार्टी का मुखिया होने के बावजूद एक बार कई लोगों ने पटनायक का नाम प्रधानमंत्री पद के लिए लिया, लेकिन वह खामोश रहे और अपने को राज्य की राजनीति तक सीमित रखा. पटनायक 1997 में अपने पिता की मौत के बाद सत्ता में आए थे.

वह अस्का से उपचुनाव जीतकर लोकसभा के सदस्य बने. एक साल बाद नवीन ने अपने पिता के नाम पर बीजू जनता दल नाम से क्षेत्रीय पार्टी बनाई और 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने के लिए भाजपा से गठबंधन किया.

ओडिशा में वर्ष 2000 में बीजद-भाजपा गठबंधन के सत्ता में वापस आने के बाद नवीन पटनायक मुख्यमंत्री बने. गठबंधन 2004 के बाद भी सत्ता पर काबिज हुआ. हालांकि, 2008 में कंधमाल में दंगों के चलते दोनों दलों के बीच संबंध खराब हो गए और पटनायक ने 2009 के आम चुनाव की पूर्व संध्या पर भाजपा से गठबंधन तोड़ दिया.

इस कदम से नवीन की न सिर्फ धर्मनिरपेक्ष विश्वसनीयता मजबूत हुई, बल्कि इसने 2009 में उनकी पार्टी की चुनावी संभावनाओं को भी बढ़ा दिया. तब उन्होंने ओडिशा विधानसभा की 147 में से 103 और लोकसभा की 21 में से 14 सीटों पर जीत दर्ज की.

नवीन ने 2009 से कई उतार-चढ़ाव देखे और कथित तौर पर उनकी सरकार को पलटने का प्रयास भी हुआ, लेकिन उन्होंने इन सभी पर काबू पा लिया और इस बार के चुनाव में उन्होंने राज्य में अभूतपूर्व जीत दर्ज की. देशभर में चली मोदी लहर से ओडिशा अप्रभावित रहा. मुख्यमंत्री दो साल पहले जब विदेश यात्रा पर थे तो उनकी सरकार को कथित तौर पर गिराने की कोशिश हुई, लेकिन बीजद नेता ने सभी प्रतिकूल परिस्थितियों पर काबू पा लिया.

कभी नवीन के मुख्य रणनीतिकार और अत्यंत विश्वस्त माने जाने वाले नौकरशाह से नेता बने प्यारी मोहन महापात्र को न सिर्फ पार्टी से निकाल दिया गया, बल्कि वह राजनीतिक गुमनामी में भी खो गए. एक लेखक और पढ़ायी पूरी करने के बाद कला में अक्सर दिलचस्पी रखने वाले नवीन पटनायक भारतीय कला एवं सांस्कृतिक धरोहर न्यास (इंटैक) के संस्थापक सदस्य भी हैं.

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