नागपुर : भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 7 जून को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के स्वयंसेवकों को संबोधित कर सकते हैं. तीन साल का पाठ्यक्रम पूरा करने वाले 45 साल से कम उम्र के 800 से ज्यादा स्वयंसेवकों के लिए आयोजित समारोह में विदाई भाषण देने के लिए पूर्व राष्ट्रपति को संघ के नागपुर स्थित मुख्यालय में आमंत्रित किया गया है. तीन वर्षीय इस पाठ्यक्रम को पहले ऑफिसर ट्रेनिंग कोर्स (ओटीसी) कहा जाता था. अब इसका नाम बदलकर संघ शिक्षा वर्ग कर दिया गया है. अंग्रेजी समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया ने यह खबर दी है.
इसे भी पढ़ें : राष्ट्रपति से मिले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत
संघ शिक्षा वर्ग से पासआउट होनेवाले स्वयंसेवक फुलटाइम ‘प्रचारक’ बनने के योग्य हो जायेंगे. संघ के सूत्रों ने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे या नहीं, इसकी आधिकारिक घोषणा ‘सही समय’ पर की जायेगी. साथ ही कहा कि प्रणब मुखर्जी को स्वयंसेवकों को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल से ज्यादा स्वयंसेवक नरेंद्र मोदी की एनडीए सरकार के लिए काम कर रहे हैं. स्वयंसेवक सरकारी योजनाओं की जानकारी लोगों तक पहुंचाते हैं. मोदी सरकार के वरिष्ठ मंत्री भी समय-समय पर संघ मुख्यालय आते हैं. हाल ही में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने संघ मुख्यालय में 5 घंटे बिताये. उन्होंने संघ के महासचिव भैयाजी जोशी के साथ संघ शिक्षा वर्ग में शामिल स्वयंसेवकों को संबोधित भी किया.
इसे भी पढ़ें : प्रोटोकॉल तोड़ राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अटल बिहारी वाजपेयी को उनके घर जाकर दिया भारत रत्न
यहां बताना प्रासंगिक होगा कि प्रणब मुखर्जी 82 साल के हैं. वह वर्ष 1969 से कांग्रेस पार्टी में हैं. इंदिरा गांधी ने उन्हें राज्यसभा भेजा था. वह इंदिरा गांधी के सबसे विश्वसनीय मंत्रियों में थे. इंदिरा ने उन्हें 1982 में अपना वित्त मंत्री बनाया. इस पद पर वह 1984 तक रहे. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पार्टी में उनका कद कुछ घट गया और वर्ष 1986 में उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली. 1989 में अपनी राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस पार्टी का कांग्रेस में विलय करकेवह फिर सेकांग्रेसमें लौट आये. देश के 13वें राष्ट्रपति प्रणब दा वर्ष 2012 तक कांग्रेस के संकटमोचक थे. इंदिरा गांधी का युग खत्म होने के बाद वह कांग्रेस के सबसे बड़े नेता बन गये थे.