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प्रणब मुखर्जी का आमंत्रण स्वीकार करना, RSS पर सवाल उठाने वालों के लिए है जवाब : राकेश सिन्हा

नागपुर : देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( आरएसएस ) के स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे .जानकारी के मुताबिक, उन्हें आगामी 7 जून को नागपुर में स्वयंसेवकों के विदाई संबोधन के लिए आरएसएस ने आमंत्रित किया है. जिसको उन्होंने स्वीकार कर लिया है. इस मौके पर 45 साल से कम उम्र के […]

नागपुर : देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( आरएसएस ) के स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे .जानकारी के मुताबिक, उन्हें आगामी 7 जून को नागपुर में स्वयंसेवकों के विदाई संबोधन के लिए आरएसएस ने आमंत्रित किया है. जिसको उन्होंने स्वीकार कर लिया है. इस मौके पर 45 साल से कम उम्र के 800 से ज्यादा कार्यकर्ता नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय कैंप में शामिल होंगे.

इस मौके पर संघ विचारक राकेश सिन्हा ने प्रतिक्रिया जतायी है. राकेश सिन्हा ने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आरएसएस का आमंत्रण स्वीकार किया है. आरएसएस नेता राकेश सिन्हा ने कहा, प्रणब मुखर्जी का न्योता स्वीकार करना, इस बात का संदेश देता है कि विरोधी पक्षों के बीच भी बातचीत होना चाहिए. विरोधी दुश्मन नहीं होते. आरएसएस और हिंदुत्व पर सवाल उठाने वालों को उत्तर मिल गया होगा.

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी 7 जून को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नागपुर मुख्यालय जाएंगे. वह संघ शिक्षा वर्ग के तृतीय वर्ष ओटीसी (ऑफिसर्स ट्रेनिंग कैंप) में शामिल हो रहे स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे. सूत्रों के मुताबिक वह इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए नागपुर जाएंगे. वह नागपुर में दो दिन रहेंगे और 8 जून को वापस लौटेंगे. संघ शिक्षा वर्ग के शिविर के समापन समारोह में मुखर्जी शामिल होंगे. वह इस समारोह के मुख्य अतिथि होंगे. इस शिविर में करीब 700 स्वयंसेवक शामिल हो रहे हैं.

कांग्रेस के धाकड़ नेता रहे हैं प्रणब मुखर्जी

प्रणब मुखर्जी कांग्रेस के धाकड़ नेता रहे हैं. पूरे राजनीतिक करियर के दौरान उन्होंने कई बार आरएसएस की आलोचना भी की. प्रणब मुखर्जी ने वित्त, विदेश और रक्षा मंत्रालय जैसे महत्वपूर्ण जिम्मेवारियों को भी संभाला. आरएसएस को भाजपा का मातृ संगठन माना जाता है. बताया जाता है कि पिछले कुछ वर्षो से प्रणब मुखर्जी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बीच अच्छे रिश्ते बन गए हैं. प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने के बाद भागवत को कई बार राष्ट्रपति भवन आने का न्योता मिला था और दोनों के बीच भारत की संस्कृति, दर्शन जैसे कई मसलों पर चर्चा हुई थी.

जानें प्रणब मुखर्जी के बारे में

82 वर्षीय प्रणब मुखर्जी 1969 से कांग्रेस से जुड़े थे. वे इंदिरा गांधी के करीबी माने जाते थे. इंदिरा गांधी की मौत के बाद उन्हें पार्टी छोड़ना पड़ा. इसके बाद उन्होंने 1986 में राष्ट्रवादी समाजवादी कांग्रेस पार्टी बनाया . 1989 में उन्होंने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया.

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