नयी दिल्ली/भोपाल : अपनी उपजों के वाजिब दाम, कर्ज माफी एवं अन्य मांगों को लेकर देश के अन्नदाताओं ने एक बार फिर आंदोलन की राह पकड़ी है. किसानों का यह 10 दिवसीय देशव्यापी ‘गांव बंद आंदोलन’ शुक्रवार से शुरू हो गया है. राष्ट्रीय किसान महासंघ के संयोजक शिवकुमार शर्मा ने कहा कि मध्यप्रदेश सहित देश के 22 राज्यों में देशव्यापी ‘गांव बंद आंदोलन’ शुक्रवार से शुरू हो गया है. शर्मा किसानों के बीच कक्काजी के नाम से मशहूर हैं.
उन्होंने कहा कि यह आदोलन 10 दिनों तक चलेगा. कक्काजी ने बताया कि इस आंदोलन के अंतिम दिन 10 जून को ‘भारत बंद’ का आह्वान पूरे देश के किसान संगठनों द्वारा किया जायेगा तथा शहर के व्यापारियों, समस्त प्रतिष्ठानों से निवेदन किया जायेगा कि देश के इतिहास में पहली बार अन्नदाता अपनी बुनियादी मांगों को लेकर ‘भारत बंद’ का आह्वान कर रहा है. इसलिए उस दिन (10 जून) वे दोपहर 2 बजे तक अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद रखकर अन्नदाता के आंदोलन में सहयोग प्रदान करें.
उन्होंने कहा कि देश के किसान मुख्य रूप से अपनी चार मांगों को लेकर आंदोलन पर हैं. इनमें देश के समस्त किसानों का पूरी तरह से कर्ज मुक्त करना, किसानों को उनकी उपज का डेढ़ गुना लाभकारी मूल्य मिलना, अत्यंत लघु किसान, जो अपने उत्पादन विक्रय करने मंडी तक नहीं पहुंच पाते, उनके परिवार के जीवनयापन के लिए उनकी आमदनी सुनिश्चित करना एवं दूध, फल, सब्जी, आलू, प्याज, लहसुन, टमाटर इत्यादि का लागत के आधार पर डेढ़ गुना लाभकारी समर्थन मूल्य निर्धारित करना एवं सभी फसलों को क्रय करने की सरकार द्वारा गारंटी का कानून बनाया जाना शामिल है.
इसके साथ ही, देश भर में शुक्रवार से शुरू हुए 10 दिवसीय किसान आंदोलन के पहले दिन मध्यप्रदेश की वाणिज्यिक राजधानी इंदौर में फल-सब्जियों की आवक पर हालांकि, बेहद मामूली असर नजर आया, लेकिन सब्जियों के पर्याप्त खरीदारों के थोक मंडी नहीं पहुंचने पर इनके भाव घटकर आधे रह गये. आंदोलन से जुड़े कृषक संगठनों ने किसानों से अपील की है कि वे 10 जून तक चलने वाले गांव बंद के दौरान गांवों से शहरों को फल-सब्जियों और दूध की आपूर्ति रोक दें.