नयी दिल्ली : दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को आईआरसीटीसी होटलों के आवंटन के संबंध में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और बेटे तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में एक आरोपी पर मुकदमा चलाने के लिए संबंधित प्राधिकार से मंजूरी लेने के लिए 27 जुलाई तक का वक्त दिया.
विशेष न्यायाधीश अरविंद कुमार ने सीबीआई को रेलवे बोर्ड के अतिरिक्त सदस्य वीके अग्रवाल पर मुकदमा चलाने के लिए 27 जुलाई तक जरूरी मंजूरी प्राप्त करने का निर्देश दिया. अग्रवाल तब भारतीय रेलवे खान-पान एवं पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) के ग्रुप महाप्रबंधक थे. अदालत ने अपने आदेश में कहा, ‘सीबीआई के वरिष्ठ सरकारी वकील कहते हैं कि आरोपी वीके अग्रवाल के संबंध में मंजूरी का विषय सक्षम प्राधिकार के सामने लंबित है और वह (सीबीआई) इस विषय को उठा रही है. इस बात की प्रबल संभावना है कि उसे जुलाई , 2018 तक मंजूरी मिल जाये.’ अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 27 जुलाई तय की. अदालत ने यह भी कहा कि जांच अधिकारी द्वारा दिये गये दस्तावेजों की सूची में कुछ विसंगति है और उसने जांच अधिकारी के इस कथन का संज्ञान लिया कि वह सूची में सुधार करेंगे और अगली सुनवाई के दिन नयी सूची देंगे.
जांच एजेंसी ने 16 अप्रैल को इस मामले में दो कंपनियों और 12 व्यक्तियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था. इस आरोपपत्र में यादव और उनके परिवार के सदस्यों के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रेमचंद गुप्ता, उनकी पत्नी सरला गुप्ता, अग्रवाल, आईआरसीटीसी के तत्कालीन प्रबंध निदेशक पीके गोयल और तत्कालीन निदेशक राकेश सक्सेना भी नामजद हैं. आरोपपत्र में अन्य आरोपी आईआरसीटीसी के ग्रुप महाप्रबंधक वीके अस्थाना, आरके गोयल सुजाता होटल्स के निदेशक विजय कोचर और विनय कोचर तथा चाणक्य होटल के मालिक हैं. डिलाइट मार्केटिंग कंपनी, जिसे अब लारा प्रोजेक्ट्स के नाम से जाना जाता है, सुजाता होटल्स प्राइवेट लिमिटेड भी इस आरोपपत्र में आरोपी कंपनियों के तौर पर नामजद हैं.
सीबीआई ने पिछले साल जुलाई में मामला दर्ज किया था और इस संबंध में पटना, रांची, भुवनेश्वर और गुरुग्राम में 12 स्थानों पर तलाशी ली थी. उसने कहा था कि इस मामले में भादसं के तहत आपराधिक साजिश (120 बी), धोखाधड़ी (420) और भ्रष्टाचार के आरोप हैं.