2019 : नरेंद्र मोदी के लिए पांचवे साल में संपर्क फॉर समर्थन यात्रा पर निकल पड़े अमित शाह
नयीदिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने चार साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है और वह पांचवे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है. पांचवे साल को चुनावी साल माना जाता है, क्योंकिराजनीतिकदलों की चुनाव तैयारियां इस साल स्पष्ट रूप से सतह पर दिखने लगती है. भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष […]
नयीदिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने चार साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है और वह पांचवे वर्ष में प्रवेश कर चुकी है. पांचवे साल को चुनावी साल माना जाता है, क्योंकिराजनीतिकदलों की चुनाव तैयारियां इस साल स्पष्ट रूप से सतह पर दिखने लगती है. भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह चुनावी वर्ष में प्रवेश करने के साथ संपर्क फॉर समर्थन यात्रा पर निकल पड़े हैं. इस क्रम में उन्होंने सोमवार को दो महत्वपूर्ण हस्तियों से मुलाकात की. एक योग गुरु बाबा रामदेव व दूसरे भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीशआरसी लाहोटी. इन दोनों हस्तियों से मिल कर अमित शाह ने उन्हें नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाज व उपलब्धियां बतायी हैं.
As a part of "Sampark For Samarthan" initiative met former Honorable Chief Justice of India Shri R C Lahoti ji at his residence and brief him on the historic steps and achievements of PM @narendramodi's government in last 4 years. pic.twitter.com/vC396QpAfq
— Amit Shah (@AmitShah) June 4, 2018
बाबा रामदेव से अमित शाह दिन दिल्ली के पतंजलि आश्रम में मिले, जबकि आरसी लाहोटी से रात में नोएडा के सेक्टर 14 स्थित उनके आवास पर. इससे पहले पिछले सप्ताह अमित शाह गुड़गांव में पूर्व सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग व संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप से अपने इस अभियान के तहत मिल चुके हैं.
आज दिल्ली के पतंजलि आश्रम में गौ सेवा करने का सौभाग्य मिला। pic.twitter.com/h3YuNxehWN
— Amit Shah (@AmitShah) June 4, 2018
सूत्रों के अनुसार, संपर्क फॉर समर्थन के तहत भाजपा ने आम चुनाव से पहले देश भर में विभिन्न क्षेत्र के एक लाख अहम लोगों से मुलाकात की योजना बनायी है. ये वैसे लोग होंगे जिनका अपने क्षेत्र में अहम योगदान रहा हो. यह मुलाकात केंद्रीय व प्रदेश दोनों स्तरों पर होगी. ऐसे लोग समाज में थिंक मेकर की भूमिका निभाते हैं. उनकी सोच दूसरों को प्रभावित करती है. भारतीय जनता पार्टी को लगता है कि इससे उसकी स्वीकार्यता व आधार बढ़ेगा और जीत आसान हो सकेगी.