नागपुर : पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी गुरुवारको आयोजित होनेवाले आरएसएस के एक कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए बुधवार को नागपुर पहुंच गय. मुखर्जी के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए हामी भरने के बाद से ही यह चर्चा और विवाद के केंद्र में है.
कांग्रेस के नेता के तौर पर आरएसएस की लगातार आलोचना करनेवाले मुखर्जी संघ के मुख्यालय में आयोजित होनेवाले ‘संघ शिक्षा वर्ग’ के समापन समारोह में हिस्सा लेंगे. इस कार्यक्रम में शामिल होने के निमंत्रण पर मुखर्जी की सहमति के बाद से ही कई कांग्रेस नेता उनसे ‘धर्मनिरपेक्षता के हित में’ इसमें शिरकत नहीं करने का आग्रह कर चुके हैं. पूर्व राष्ट्रपति ने इस पर पूरी तरह विराम लगाते हुए कहा कि मुझे जो कुछ भी कहना है वह मैं नागपुर में कहूंगा. प्रणब मुखर्जी ने दो दिन पहले ही बांग्ला अखबार ‘आनंद बाजार पत्रिका’ से बात करते हुए कहा था कि, मुझे इस संबंध में कई पत्र मिले हैं और कई कॉल भी आये हैं, लेकिन मैंने अभी तक किसी को जवाब नहीं दिया है. मुझे जो कुछ भी कहना है वह मैं नागपुर में कहूंगा.
बता दें कि कांग्रेस नेता जयराम रमेश, सीके जाफर, पी चिदंबरम और रमेशस चेन्नीथाला ने इस संबंध में पूर्व राष्ट्रपति को पत्र लिख कर आरएसएस के निमंत्रण पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया था. जयराम रमेश ने पत्र लिखकर कहाथा कि उन जैसे विद्वान और सेक्युलर व्यक्ति को आरएसएस के साथ किसी तरह की नजदीकी नहीं दिखानी चाहिए. आरएसएस के कार्यक्रम में जाने का देश के सेक्युलर माहौल पर बहुत गलत असर पड़ेगा. प्रणब मुखर्जी को लिखे पत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए जयराम ने कहा था कि न तो उन्होंने कोई उत्तर दिया, न ही उत्तर आने की कोई उम्मीद है, लेकिन यह जो भी हो रहा है वह बहुत गलत है. आप उस विचारधारा के पास कैसे जा सकते हैं जो लंबे समय से देश को बांटने का काम कर रही है.
वहीं, केरल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रमेश चेन्नीथाला ने कहा था कि आरएसएस के कार्यक्रम में जाने का पूर्व राष्ट्रपति का फैसला सेक्युलर विचारधारा के लोगों के लिए झटके की तरह है. चेन्नीथाला ने कहा था कि प्रणब मुखर्जी को संघ के कार्यक्रम में नहीं जाना चाहिए. वहीं, पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम की इस मुद्दे पर राय सबसे अलग है. उन्होंने कहा कि, अब जब उन्होंने न्योते को स्वीकार कर लिया है, तो इस पर बहस का कोई मतलब नहीं है. उससे ज्यादा अहम बात यह कहनी है कि सर आपने न्योते को स्वीकार किया है, तो वहां जाइये और उन्हें बताइये कि उनकी विचारधारा में क्या खामी है. वहीं, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि ‘प्रणब मुखर्जी का आरएसएस का आमंत्रण स्वीकार करना एक अच्छी पहल है. राजनीतिक छुआछूत अच्छी बात नहीं है.’