नयी दिल्ली : सीबीआई ने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) के प्रिंसिपल और चार अन्य फैकल्टी सदस्यों के खिलाफ संस्थान में शिक्षण कर्मी के तौर पर अपनी नियुक्ति के लिए कथित रूप से शैक्षणिक रिकार्ड में हेरफेर करने के आरोप में एक मामला दर्ज करने के बाद बुधवार को पुणे के खडगवासला स्थित इस अकादमी में छापेमारी की.
अधकारियों ने बताया कि केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) ने प्रिंसिपल ओम प्रकाश शुक्ला के अलावा राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर जगनमोहन मेहेर, एसोसिएट प्रोफेसर (रसायन विज्ञान) वनिता पुरी, एसोसिएट प्रोफेसर (गणित) राजीव बंसल और विभागाध्यक्ष रासायन विज्ञान महेश्वर राय के अलावा यूपीएससी और रक्षा मंत्रालय के हेडक्वार्टर-इंटेग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है.
एजेंसी ने 2017 में इस आरोप के आधार पर एक प्रारंभिक जांच दर्ज की थी कि अकादमी के 13 फैकल्टी सदस्यों के पात्र नहीं होने के बावजूद उन्हें नियुक्त किया गया. सीबीआई प्रवक्ता आर के गौड़ ने एक बयान में कहा, ‘‘परिसर में छापेमारी की जा रही है. इसमें आरोपियों के कार्यालय और आवास शामिल हैं जिससे कई दस्तावेज बरामद हुए हैं.”
यह आरोप लगाया गया कि इन शिक्षकों ने अपनी नियुक्ति संघ लोकसेवा आयोग और रक्षा मंत्रालय के हेडक्वार्टर-इंटेग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के अज्ञात अधिकारियों की मिलीभगत से सुनिश्चित की थी. अधिकारियों ने बताया कि इन शिक्षकों को जिन शिक्षण पदों पर नियुक्त किया गया है वे असैन्य पद हैं जिनके लिए चयन यूपीएससी द्वारा किया जाता है. यूपीएससी की सिफारिश पर रक्षा मंत्रालय इनकी नियुक्ति करता है.
अधिकारियों ने बताया कि जांच के दौरान एजेंसी को पता चला कि 2007-2008 और 2012-20013 की अवधि के दौरान शुक्ला (जो प्रोफेसर के तौर पर नियुक्त हुए थे और अब प्रिंसिपल हैं), मेहेर, पुरी और बंसल और अन्य अज्ञात फैकल्टी सदस्यों का चयन एनडीए में कथित रूप से अनिवार्य शिक्षण और अनुसंधान अनुभव के बिना ही हो गया था। सीबीआई ने करीब एक वर्ष की जांच के बाद प्रारंभिक जांच को एक प्राथमिकी में तब्दील कर दिया और आरोप लगाया कि उन्होंने नियुक्ति जाली और झूठे प्रमाणपत्रों के आधार पर हासिल की.
यह भी आरोप लगाया गया कि उन्होंने अकादमिक प्रदर्शन संकेतक (एपीआई) स्कोर को ‘‘बढ़ा चढ़ाकर पेश किया.” रक्षा मंत्रालय ने 2011 में एपीआई को वर्तमान की शैक्षिक योग्यता और अनुभव के अलावा एक योग्यता पैरामीटर के तौर पर शुरू किया था। केंद्रीय सूचना आयोग ने ‘‘मनमानेपन” के लिए हाल में शुक्ला की खिंचाई की थी. शुक्ला पर आरोप था कि उन्होंने 2013 में तदर्थ आधार पर काम कर रही एक शिक्षिका को आरटीआई अर्जी वापस लेने के लिए बाध्य किया था. अर्जी में शिक्षिका ने एनडीए में शिक्षक के तौर पर नियुक्ति के लिए एक आवेदक को उम्र में दी गई छूट के लिए आईडीएस के अधिकारियों पर सवाल उठाए थे.