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पीएम मोदी बोले, गरीबों की दवा के लिए काम कर रही है सरकार

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि किसी भी बीमारी के दौरान गरीबों की सबसे बड़ी चिंता होती है, दवा कहां से आएगी ? इसी समस्या का निदान करने के लिए सरकार ने जन औषधि परियोजना शुरू की ताकि उन्हें तमाम तरह की दवाएं न्यूनतम दरों पर उपलब्ध हो सकें. भारतीय जन […]

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि किसी भी बीमारी के दौरान गरीबों की सबसे बड़ी चिंता होती है, दवा कहां से आएगी ? इसी समस्या का निदान करने के लिए सरकार ने जन औषधि परियोजना शुरू की ताकि उन्हें तमाम तरह की दवाएं न्यूनतम दरों पर उपलब्ध हो सकें. भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) और किफायती स्टेंट तथा घुटना प्रतिरोपण के लाभार्थियों से आज सुबह वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सरकार अधिक बिस्तर, अस्पताल और डॉक्टर उपलब्ध कराने पर काम कर रही है.

गरीबों को इलाज में कम खर्च आए इसके लिए सरकार कदम-दर-कदम आगे बढ रही है . उन्होंने कहा कि गरीबों और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों को बेहतर मेडिकल सुविधाएं मुहैया कराने के लिए 90 से ज्यादा मेडिकल कॉलेज खोले गये हैं जबकि एमबीबीएस की सीटों में 15,000 का ईजाफा किया गया है. सरकार की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत करीब 10 करोड़ परिवारों और 50 करोड़ लोगों का पांच लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कराया जाएगा.
उन्होंने कहा, ‘‘योजना के पहले चरण को लागू कर दिया गया है और जल्दी ही पूरे देश को इसका लाभ मिलने लगेगा.” मोदी ने कहा कि छोटे गांवों और कस्बे में रहने वालों को दूर स्थित अस्पतालों तथा स्वास्थ्य केन्द्रों तक पहुंचने में आने वाली दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने आयुष्मान भारत के तहत पूरे देश में 1.5 लाख स्वास्थ्य केन्द्र खोलने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा कि इन केन्द्रों में दवाओं के अलावा मेडिकल जांच की सुविधा भी उपलब्ध होगी.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘पिछले चार वर्ष में हमारी सरकार कदम दर कदम आगे बढी है ताकि गरीबों के लिए इलाज पर आने वाले खर्च को कम किया जा सके.” उन्होंने कहा, ‘‘मैं पूरी संतुष्टि के साथ कह सकता हूं कि हमने सही दिशा चुनी है, सही रास्ते पर हैं, सही नीतियां बनायी हैं और अब वह जमीनी स्तर तक पहुंच रही हैं… हमने मिशन मोड में काम किया है.” उन्होंने कहा कि दवाओं तक पहुंच गरीबों के लिए सबसे बड़ी चिंता है और सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि ‘‘प्रत्येक भारतीय को किफायती स्वास्थ्य सुविधाएं मिलें.”
उन्होंने कहा कि तमाम लोग भारतीय जन औषधि परियोजना से लाभान्वित हो रहे हैं. सरकार की इस योजना के तहत लोगों को किफायती दरों पर दवा मुहैया करायी जाती है. प्रधानमंत्री ने कहा कि किसी भी बीमारी में गरीबों की सबसे बड़ी चिंता दवाएं होती हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री जन औषधि योजना के तहत सरकार ने सुनिश्चित किया है कि लोगों को दवाएं न्यूनतम दरों पर उपलब्ध हों. उन्होंने कहा कि 3,600 से ज्यादा जन औषधि केन्द्र खोले गये हैं जिनमें 700 से ज्यादा प्रकार की जेनेरिक दवाएं न्यूनतम दर पर उपलब्ध हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘हमने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया है कि इन केन्द्रों पर दवाएं 50 से 90 प्रतिशत कम दरों पर उपलब्ध हों. फिर चाहे पर कैंसर की दवा हो, रक्तचाप की दवा हो या फिर किसी अन्य बीमारी की.” मोदी ने यह भी कहा कि सरकार ने स्टेंट की कीमतों में काफी कमी की है जिससे सबसे ज्यादा लाभ गरीबों और मध्यम वर्ग के लोगों को मिला है. उन्होंने कहा, घुटने में आने वाली परेशानियां बेहद सामान्य हो गयी हैं, लेकिन उनका इलाज पहले आम नहीं था, सिर्फ पैसे वाले अपना दर्द दूर कर सकते थे. उन्होंने कहा कि पहले घुटना प्रतिरोपण में ढाई से तीन लाख रुपये तक का खर्च आता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. प्रधानमंत्री ने कहा, घुटना प्रतिरोपण पर आने वाले खर्च में 70 प्रतिशत तक कमी आयी है. अब प्रतिरोपण 50 से 80 हजार रुपये में हो जाता है.
उन्होंने कहा कि एक आकलन के अनुसार, भारत में प्रतिवर्ष घुटने की एक से डेढ लाख सर्जरी होती है और इसपर आने वाले खर्च में कमी होने से मध्यमवर्ग की करीब 1,500 करोड़ रुपये की बचत हुई है. मोदी ने कहा कि इसी तरह डायलिसिस पर भी बहुत खर्च आता था और इसकी सुविधा कुछ ही शहरों में उपलब्ध थी. इसे ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस योजना शुरू की गयी. उन्होंने कहा, ‘‘इसके तहत 2.25 लाख मरीजों का करीब 22 लाख बार डायलिसिस हो चुका है. वर्तमान में देश के 80 प्रतिशत जिलों में यह योजना चल रही है. फिलहाल 400 जन स्वास्थ्य केन्द्रों में यह चल रहा है और 32-33 सौ मशीनें उपलब्ध करायी गयी हैं.”
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार का लक्ष्य भारत को 2025 तक क्षय रोग मुक्त बनाना है. गौरतलब है कि दुनिया को क्षय रोग मुक्त बनाने के लिए वैश्विक लक्ष्य 2030 तक का रखा गया है. मोदी ने कहा, ‘‘दुनिया ने तय किया है कि 2030 तक क्षय रोग को समाप्त करना है. जबकि भारत में हमने तय किया कि 2030 तक क्यों इंतजार करना ? इसलिए हमने विश्वस्तर पर तय समय सीमा से पांच साल पहले इसे समाप्त करने की योजना बनायी है. हमारा लक्ष्य 2025 तक भारत को क्षय रोग मुक्त बनाना है.” उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा सरकार ने टीकाकरण के लिए वृहद अभियान शुरू किया है.
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘अभी तक मिशन इन्द्रधनुष के चार चरणों में देश के 528 जिलों में 3.15 करोड़ बच्चों और 80 लाख से ज्यादा गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण हुआ है.” उन्होंने कहा, ‘‘हमारा लक्ष्य 2020 तक हर उस बच्चे का पूर्ण टीकाकरण करना है, जिसका टीकाकरण नहीं हुआ है या आंशिक टीकाकरण हुआ है. इसका लक्ष्य बच्चों को 12 अलग-अलग बीमारियों से बचाना है.” अंतरराष्ट्रीय योग दिवस, 21 जून से पहले प्रधानमंत्री ने आज लोगों से अपील की कि वे योग अपनाएं और उसे अपने जीवन का अंग बनाएं.

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