कर्नाटक : मंत्री पद नहीं मिलने से नाखुश कांग्रेसी विधायकों ने की अलग-अलग बैठक
बेंगलुरु : एचडी कुमारस्वामी मंत्रिमंडल में मंत्री पद नहीं मिलने से नाराज कर्नाटक में कांग्रेस के कई विधायकों ने गुरुवारको शहर में अलग-अलग बैठक की. ये बैठकें 15 दिन पुरानी कुमारास्वामी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के एक दिन बाद हुईं. मंत्री पद के लिए चली काफी खींचतान के बाद मंत्रिमंडल विस्तार में बुधवार को 25 […]
बेंगलुरु : एचडी कुमारस्वामी मंत्रिमंडल में मंत्री पद नहीं मिलने से नाराज कर्नाटक में कांग्रेस के कई विधायकों ने गुरुवारको शहर में अलग-अलग बैठक की. ये बैठकें 15 दिन पुरानी कुमारास्वामी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार के एक दिन बाद हुईं.
मंत्री पद के लिए चली काफी खींचतान के बाद मंत्रिमंडल विस्तार में बुधवार को 25 नये मंत्रियों को शामिल किया गया. इससे पहले कुमारास्वामी ने मुख्यमंत्री और कांग्रेस से जी परमेश्वर ने उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. बहुप्रतीक्षित मंत्रिमंडल विस्तार में जगह नहीं मिलने से गठबंधन के कई विधायकों में असंतोष है. वहीं, मंत्री पद की चाह रखनेवाले कई विधायकों के समर्थकों ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन किया. कांग्रेस ने पूर्ववर्ती सिद्धरमैया सरकार के कई महत्वपूर्ण सदस्यों एमबी पाटिल, दिनेश गुंडू राव, रामलिंगा रेड्डी, आर रोशन बेग, एचके पाटिल, तनवीर सैत, शामनुर शिवशंकरप्पा, सतीश जारकीहोली को मंत्री नहीं बनाया था. एमबी पाटिल के आवास पर गुरुवारको यहां हुई बैठक में असंतुष्ट विधायकों एमटीबी नागराज, सतीश जारकीहोली, सुधाकर और रोशन बेग ने हिस्सा लिया.
बैठक से बाहर निकलने के बाद जारकीहोली ने कहा कि उन्होंने मंत्रिमंडल विस्तार पर चर्चा की और यह सही है कि वे मंत्री पद नहीं मिलने से नाखुश हैं. उन्होंने कहा, हमने इस बारे में चर्चा की कि सक्षम अभिलाषियों के बारे में प्रदेश और दिल्ली पार्टी नेतृत्व का ध्यान दिलाकर कैसे इसे ठीक किया जा सकता है. हमने बुधवार को भी इस बारे में चर्चा की थी. गुरुवार को भी हमने चर्चा की और हम फिर बैठक करेंगे. हालांकि, इस घटनाक्रम के महत्व को बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं देने का प्रयास करते हुए एमबी पाटिल ने अपनी पार्टी के सहयोगियों के साथ बैठक के बारे में सनसनी फैलाने के लिए मीडिया को जिम्मेदार ठहराया और पूछा कि इसमें क्या गलत है. उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि वह मंत्री पद के आकांक्षी थे. उन्होंने कहा कि उनके लिए आत्मसम्मान से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है, लेकिन इसका मतलब पार्टी विरोधी होना नहीं है. उन्होंने कहा कि चर्चा पार्टी की भलाई के बारे में थी.
यह पूछे जाने पर कि क्या वह दूसरे चरण के मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री पद के लिए सहमत होंगे तो पाटिल ने कहा, मैं दूसरे दर्जे का नागरिक नहीं हूं. मेरी अब कोई आकांक्षा नहीं है. पिछली सिद्धरमैया सरकार में प्रमुख चेहरा रहे पाटिल लिंगायतों के लिए धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा मांगने में अग्रणी थे. लिंगायत राज्य में सबसे बड़ा समुदाय है. दिलचस्प बात है कि अखिल भारत वीरशैव महासभा का चेहरा माने जानेवाले शमनूर शिवशंकरप्पा ने सिर्फ लिंगायतों के लिए धार्मिक अल्पसंख्यक दर्जे का विरोध किया था. उन्होंने कहा था कि लिंगायत और वीरशैव एक ही हैं. उन्हें भी मंत्री नहीं बनाया गया है.
सूत्रों के अनुसार शिवशंकरप्पा ने भी नेताओं और करीबी विश्वासपात्रों के साथ चर्चा की. सूत्रों ने बताया कि इसी तरह की एक बैठक पूर्व मंत्री एचके पाटिल के नेतृत्व में हुई और इसमें यशवंत राय गौड़ा पाटिल और एसआर पाटिल समेत अन्य ने हिस्सा लिया. एचके पाटिल ने दावा किया कि कई विधायकों ने व्यक्तिगत रूप से और टेलीफोन पर भी उनसे चर्चा की है. पाटिल ने कहा, हम सोच रहे हैं कि भविष्य में इस तरह की गड़बड़ियों को कैसे रोका जाये और इस संबंध में क्या कदम उठाये जाने चाहिए, हम अपना अगला उठायेंगे. उन्होंने कहा कि पार्टी आला कमान को प्रदर्शन समेत सबकुछ पर विचार करते हुए उचित कदम उठाना चाहिए. उन्होंने पार्टी छोड़ने की संभावना से इनकार किया.
बेलगावी, हावेरी और चेल्लाकेरे समेत विभिन्न स्थानों से प्रदर्शन की खबर आयी है. वहां क्रमश: जारकीहोली, बीसी पाटिल और टी रघुमूर्ति के समर्थकों ने अपने नेताओं के लिए मंत्री पद की मांग की. बैठक में विधायकों ने मंत्री पद नहीं मिलने के लिए पार्टी नेतृत्व और विशेष तौर पर कांग्रेस विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया और उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वर के प्रति नाखुशी जतायी. कुमारास्वामी ने बुधवार को 25 मंत्रियों को शामिल करके 15 दिन पुराने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया था. इसमें कांग्रेस के 14, जदएस के नौ, बसपा के एक और केपीजेपी के एक विधायक ने मंत्री पद की शपथ ली थी.