विशेषज्ञों का दावा : उल्का पिंड गिरने से बना राजस्थान के रामगढ़ में Crater

बारन (राजस्थान) : रामगढ़ के ‘क्रेटर’ की उत्पत्ति के रहस्य को सुलझाने के लिए राजस्थान के बारन जिले में वैज्ञानिकों की एक टीम पहुंची हुई है. समझा जाता है कि इसके उल्का पिंड के प्रभाव से बने होने के बारे में उनके पास साक्ष्य हैं. यह क्रेटर 19 वीं सदी से ही भू-गर्भ वैज्ञानिकों को […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 9, 2018 7:34 PM

बारन (राजस्थान) : रामगढ़ के ‘क्रेटर’ की उत्पत्ति के रहस्य को सुलझाने के लिए राजस्थान के बारन जिले में वैज्ञानिकों की एक टीम पहुंची हुई है. समझा जाता है कि इसके उल्का पिंड के प्रभाव से बने होने के बारे में उनके पास साक्ष्य हैं. यह क्रेटर 19 वीं सदी से ही भू-गर्भ वैज्ञानिकों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है.

इसे भी पढ़ें : VIDEO: क्या 12 अगस्त को नहीं होगी रात ? जानें क्या है वायरल सच की हकीकत

गौरतलब है कि क्रेटर जमीन में एक गोल आकार का गड्ढा होता है. इसकी परिधि 3. 2 किमी है. इसकी पहली बार खोज भारतीय भू-गर्भ सर्वेक्षण (जीएसआई) ने 1869 में की थी. करीब एक सदी बाद 1960 में इसे लंदन के जियोलॉजिकल सर्वे ने मान्यता दी. जीएसआई और नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चर हेरीटेज की चार सदस्यीय एक टीम जिले के रामगढ़ गांव स्थित क्रेटर की उत्पत्ति के बारे में साक्ष्य जुटाने के लिए शुक्रवार को खागोलीय घटना स्थल पर गयी थी.

टीम के सदस्य प्रो विनोद अग्रवाल ने शनिवार को बताया कि करीब 75,000 करोड़ साल पहले करीब तीन किमी परिधि का एक विशाल उल्कापिंड यहां गिरा था, जिससे करीब चार किमी परिधि का एक विशाल गड्ढा बन गया. विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत में दो मान्यता प्राप्त क्रेटर हैं. उनमें से एक महाराष्ट्र के बुलधाना जिला में लोनार झील है और दूसरा मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में है. टीम के समन्वयक पुष्पेंद्र सिंह राणावत ने बताया कि यह भारत में एक दुर्लभ स्थान है और यह काफी मायने रखता है, जिसका एक पहलू भू-गर्भ धरोहर होना भी है.

Next Article

Exit mobile version