नयी दिल्ली : विधानसभा चुनाव के शुरू हुए कर्नाटक का नाटक एक बार फिर शुरू हो सकता है. इसका कारण यह है कि सूबे में सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल के विस्तार में सत्ताधारी गठबंधन में शामिल सियासी दलों के चहेते विधायकों को शामिल नहीं किये जाने के कारण असंतोष एक बार फिर दिखायी देने लगा है. हालांकि, शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किये जाने की वजह से नाराज विधायकों को मनाने के लिए बैठक भी किये, लेकिन राहुल की यह बैठक बेनतीजा ही समाप्त हो गयी.
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उधर, भाजपा की राज्य इकाई का यह दावा है कि मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किये जाने की वजह से कांग्रेस और जेडीएस के कई नाराज विधायक भाजपा में शामिल होने के लिए उत्सुक हैं. राहुल गांधी के साथ नाराज विधायकों की मुलाकात के बाद एमबी पाटिल ने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार के बाद से नाराज चल रहे 15-20 विधायकों से चर्चा के बाद अगले कदम के बारे में फैसला किया जायेगा. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव तथा राज्य के मंत्री कृष्णा बी गौड़ा भी इस बैठक में उपस्थित थे.
बैठक के बाद गौड़ा ने कहा कि हम मतभेद दूर करने के प्रयास कर रहे हैं. अभी बातचीत चल रही है. अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है. वहीं,एमबी पाटिल ने कहा कि मैंने राहुल गांधी के साथ अपने विचार साझा किये और राज्य में हालात के बारे में बताया. मैं कुछ मांग नहीं रहा हूं. लिंगायत समुदाय से आने वाले पाटिल ने कहा कि उनका कांग्रेस छोड़ने का कोई इरादा नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि वह प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की दौड़ में भी नहीं हैं.
वहीं, भाजपा नेता बी एस येदियुरप्पा ने शनिवार को दावा किया कि सत्ताधारी कांग्रेस और जेडीएस के कई असंतुष्ट नेता उनकी पार्टी में शामिल होने के लिए उत्सुक हैं. येदियुरप्पा की टिप्पणी ऐसे समय में आयी है, जब मंत्री पद नहीं मिलने से नाखुश कांग्रेस के कुछ विधायकों की बागी गतिविधियां तेज हो गयी हैं. पूर्व मुख्यमंत्री ने अपनी पार्टी के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं से कहा कि वे मजबूत विपक्ष के रूप में काम करें और 2019 के लोकसभा चुनावों की तैयारी करें.
येदियुरप्पा ने कहा कि कांग्रेस और जेडीएस के कई असंतुष्ट नेता भाजपा में शामिल होने के लिए उत्सुक हैं. भाजपा सदस्यों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जेडीएस एवं कांग्रेस से असंतुष्ट लोगों को शामिल करना हमारी जिम्मेदारी है. येदियुरप्पा ने कहा कि विधानसभा में 104 सदस्यों के साथ पार्टी के पास पूरी ताकत है और हमें मजबूत विपक्ष के तौर पर काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह सरकार कितने दिनों तक चलेगी, यह अलग मामला है, लेकिन सत्ता की आकांक्षा पाले बगैर हम सभी 104 सदस्यों को अपने अच्छे कार्यों से सफल विपक्ष के तौर पर काम करना चाहिए.
कांग्रेस के बाद गठबंधन सहयोगी जेडीएस में भी असंतोष उभरा है. मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद विभागों के बंटवारे पर पार्टी के दो वरिष्ठ मंत्री नाराज बताये जा रहे हैं. जेडीएस सूत्रों ने बताया कि जीटी देवगौड़ा और सीएस पुत्ताराजू सौंपे गये विभाग को लेकर नाखुश हैं. जीटी देवगौडा को उच्च शिक्षा और पुत्ताराजू को लघु सिंचाई विभाग दिया गया है. जीटी देवगौड़ा ने मैसुरू में चामुंडेश्वरी निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को हराया था, जबकि पुत्ताराजू ने लोकसभा सीट छोड़कर मेलूकोटे से चुनाव लड़ा और वहां से जीत हासिल की. उन्हें परिवहन सहित महत्वर्पूण मंत्रालय की जिम्मेदारी मिलने की उम्मीद थी.
जेडीएस सुप्रीमो एचडी देवगौड़ा के रिश्तेदार डीसी तमन्ना को परिवहन विभाग दिये जाने को भी उनकी नाराजगी की एक वजह बतायी जा रही है. बहरहाल, दोनों मंत्रियों के समर्थकों ने उनके क्षेत्र मैसुरू और मंड्या जिले में प्रदर्शन किया और अपने नेताओं को महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदारी देने की मांग की. मुद्दे पर मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि उन्हें केवल मीडिया में ही इस तरह के असंतोष की खबरें दिखी हैं और निजी तौर पर किसी ने भी अपना असंतोष नहीं जाहिर किया है.
उन्होंने कहा कि कुछ लोग किसी विशेष विभाग में काम करना चाहते होंगे, लेकिन सभी विभागों में कुशलता से काम करने का अवसर है. हमें कुशलता से काम करना होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि क्या हर किसी को उसकी इच्छा के मुताबिक विभाग मिल सकता है ? साथ ही उन्होंने कहा कि काम करने के लिए क्या उच्च शिक्षा और लघु सिंचाई से बेहतर विभाग है. गठबंधन भागीदारों के बीच गहन विचार-विमर्श के बाद कुमारस्वामी ने शुक्रवार को रात विभागों का बंटवारा किया था.
उधर, कर्नाटक में जेडीएस, बसपा और कांग्रेस के गठबंधन को विपक्षी दलों के एकजुट होने की शुरुआत करार देते हुए जेडीएस के वरिष्ठ नेता दानिश अली ने देशव्यापी स्तर पर भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस को विपक्षी गठजोड़ की अनिवार्य शर्त बताया है. कर्नाटक में विधानसभा चुनाव बाद के कांग्रेस और जद एस के बीच हुए गठबंधन में अहम भूमिका निभाने वाले अली ने गैरकांग्रेस और गैर-भाजपा गठजोड़ के विकल्प को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस के बिना विपक्षी दलों की एकता मुमकिन नहीं है.
उन्होंने कहा कि मुझे यह स्वीकार करने में कोई हिचक नहीं है कि पहले जेडीएस भी गैर-कांग्रेस और गैर-भाजपा गठजोड़ की हिमायती थी, लेकिन मौजूदा हालात के मद्देनजर जनता को भाजपा का विकल्प देने के लिए कांग्रेस को विपक्षी एकजुटता से अलग करके नहीं देखा जा सकता. अली ने ‘राजनीति में क्षेत्रीय दलों की भूमिका’ विषय पर शनिवार को यहां भारतीय महिला प्रेस कोर द्वारा आयोजित संगोष्ठी में स्पष्ट किया कि संभावित गठजोड़ नये स्वरूप में होगा. उन्होंने कहा कि आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में राज्यों की राजनीतिक परिस्थितियों के आधार पर गैर-सांप्रदायिक दल भाजपा को हराने के लिए एकजुट होंगे. इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर गठजोड़ की कोई जरूरत नहीं होगी.
विपक्षी गठबंधन की रणनीति के सवाल पर उन्होंने कहा कि राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में जरूरत के हिसाब से चुनाव पूर्व या चुनाव बाद गठबंधन किया जायेगा. जहां तक लोकसभा चुनाव का सवाल है, उसके लिए समय आने पर रणनीति का खुलासा किया जायेगा. चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले विपक्ष के चेहरे के सवाल पर उन्होंने कहा कि भारतीय संसदीय व्यवस्था में चेहरे पर पार्टियों की नीतियों पर चुनाव लड़ा जाता है. इसलिए जेडीएस एक चेहरे पर चुनाव लड़ने की विरोधी है.
उन्होंने कहा कि हम इस बार भाजपा के चेहरे के झांसे में जनता को नहीं आने देंगे. समय आने पर हमारे नेता का चयन चंद घंटों में सर्वसम्मति से हो जायेगा. अली ने कर्नाटक, कैराना और फूलपुर चुनाव का हवाला देते हुए विपक्षी दलों को आगाह किया कि हाल ही में हुए इन चुनावों का अनुभव बताता है कि विपक्षी दलों के अलग-अलग चुनाव लड़ने का सीधा फायदा भाजपा को होता है. इससे सभी ने सबक लिया है.
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के आरएसएस के मुख्यालय में जाने के सवाल पर अली ने कहा कि मुखर्जी के नागपुर दौरे के बाद अब आरएसएस खुद को विश्व फलक पर अपनी मान्यता स्थापित करने की कोशिश करेगा.