राहुल को दोषी ठहराना गलत : कांग्रेस नेता

नयी दिल्ली: कांग्रेस उपाध्यक्ष के करीबी एक पार्टी नेता ने कहा है कि राहुल गांधी को लोकसभा चुनाव में अवांछनीय लक्ष्य का सामना करना पडा क्योंकि संप्रग-2 ‘‘अच्छा उत्पाद नहीं था’’ जिसकी मार्केटिंग मतदाताओं के साथ की जा सके. पार्टी के भीतर ही कुछ लोग ‘टीम राहुल’ की आलोचना कर रहे हैं. उनका कहना है […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 23, 2014 8:16 PM

नयी दिल्ली: कांग्रेस उपाध्यक्ष के करीबी एक पार्टी नेता ने कहा है कि राहुल गांधी को लोकसभा चुनाव में अवांछनीय लक्ष्य का सामना करना पडा क्योंकि संप्रग-2 ‘‘अच्छा उत्पाद नहीं था’’ जिसकी मार्केटिंग मतदाताओं के साथ की जा सके.

पार्टी के भीतर ही कुछ लोग ‘टीम राहुल’ की आलोचना कर रहे हैं. उनका कहना है कि ये टीम उम्मीदों पर खरी उतरने में विफल रही और इसने कांग्रेस की चुनावी संभानाओं को धूमिल किया लेकिन पार्टी नेता ने कहा कि टीम राहुल पर किये गये हमले गलत धारणाओं और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाले संप्रग-2 सरकार के दोषपूर्ण आंकलन पर आधारित थे.नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर इस नेता ने कहा कि कई कारणों से संप्रग-2 सरकार एक के बाद एक विवादों में फंसती गयी. कुछ वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों के बीच बैर और उनकी जैसे को तैसा वाली तर्ज पर की गयी कार्रवाई सार्वजनिक हुई. उसके बाद नीरा राडिया टेप सामने आये और फिर 2 जी घोटाला.

उन्होंने कहा कि नौ दिसंबर 2009 को तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने पृथक तेलंगाना राज्य के गठन पर फैसले का ऐलान कर दिया. इत्तफाकन प्रणब मुखर्जी, जो उस समय वरिष्ठ मंत्री थे और जो छोटे राज्यों पर संप्रग की उपसमिति के अध्यक्ष रह चुके थे, उस समय दिल्ली में नहीं थे, जब यह फैसला लिया गया.गांधी के सलाहकारों पर कुछ नेताओं के हमले को नकारते हुए इस नेता ने कहा कि इसका मकसद प्रमुख पदों से कुछ लोगों को बदलना है ताकि पहले जो नेता किनारे हो गये थे, वे निर्णय लेने वाले पदों पर आ सकें.

उन्होंने कहा कि लोकपाल मुद्दे पर भी अन्ना हजारे और उनके समर्थकों ने जिस तरह अभियान चलाया, मामला सरकार के हाथ से निकल गया. बाद में योग गुरु रामदेव के मुद्दे से ठीक से नहीं निपटा गया. इसी तरह लोकपाल विधेयक जिसे 2011 में पेश किया जा सकता था, दिसंबर 2013 तक लटका रहा.उन्होंने कहा कि ये कहना गलत है कि गांधी ने संप्रग-2 का एजेंडा बनाया. अगर ऐसा होता तो वह प्रेस क्लब में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अचानक नहीं आते और दागी सांसदों और विधायकों पर सरकार के विवादास्पद अध्यादेश को न फाडते.

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