मुंबई : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कांग्रेस के मौजूदा सीमित आधार के मद्देनजर महागंठबंधन के फार्मूले को स्वीकार कर लिया है. इसके साथ ही इस बात की संभावना अधिक हो गयी कि अगले आम चुनाव में यूपीए शब्द राजनीतिक रूप से कमजोर हो जाएगा. ध्यान रहे कि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में पहली बार भाजपा से मुकाबले के लिए नीतीश कुमार की अगुवाई में बने गठबंधन को महागठबंधन नाम दिया गया था और अब विपक्षी इस प्रयास में हैं कि इसे राष्ट्रीय स्वरूप दिया जाए.
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज कहा कि भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों का महागठबंधन बने, ऐसी भावना ना केवल नेताओं की बल्कि जनता की भी है. राहुल ने कहा कि कांग्रेस इन आवाजों को एक साथ लाने की कोशिश कर रही है और काम चल रहा है. उन्होंने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ ऐसी भावना ना केवल भाजपा विरोधी राजनीतिक दलों बल्कि जनता की भी है कि महागठबंधन बने जो भाजपा, आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मुकाबला कर सके.’
हालांकि बीच में कुछ दिनों तक राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार फेडरल फ्रंट की अवधारणा को मजबूत करने की कोशिश करते दिखे, लेकिन दो-तीन महीने बाद भी यह विचार बहुत मजबूत आकार नहीं ले सका है. ऐसे में उपचुनाव में विपक्ष की साझा एकता से मिली जीत से उत्साहित सभी पार्टियां महागठबंधन शब्द का प्रयोग करने लगी हैं और अंतत: राहुल गांधी ने आज इसे स्वीकार करने का ठोस संकेत दिया है.
महागठबंधन के आकार लेने पर कांग्रेस व अलग-अलग राज्यों में सक्रिय क्षेत्रीय दल भिन्न प्रदेश की परिस्थितियों के अनुरूप अंब्रेला गठजोड़ बना सकते हैं. कांग्रेस ने कर्नाटक में जिस तरह बड़ी पार्टी होने के बावजूद भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए अपने से आधा संख्या बल वाली पार्टी जनता दल सेकुलर के नेतृत्व में सरकार गठन करवाया, उससे यह स्पष्ट है कि उसका पहला लक्ष्य भाजपा एवं नरेंद्र मोदी को सत्ता से बाहर रखना है और इसके लिए वह हर तरह के समझौते करने के लिए मानसिक रूप से तैयार है.
'Mahagathbandhan' is a sentiment in people and not just politics. Whole nation is united against RSS and BJP: Rahul Gandhi pic.twitter.com/YKq4wZOUiw
— ANI (@ANI) June 13, 2018
महागठबंधन के फार्मूले में प्रदेश के छोटे दलों को भी कांग्रेस अहमियत देगी, जैसा भाजपा करती रही है. ऐसे में उत्तरप्रदेश में अजीत सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल व वैसे दूसरे दलों का महत्व भी बढ़ेगा. बिहार में सक्रिय उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी भी वेट एंड वॉच के मूड में हैं और उसे राजद नेता तेजस्वी यादव लगातार लुभा रहे हैं. यह अलग बात है कि कुशवाहा अभी केंद्र में राज्य मंत्री हैं और उनकी पार्टी एनडीए में शामिल है.
महागठबंधन का पहला लिटमस टेस्ट मध्यप्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में होगा. यहां कांग्रेस भाजपा के सीधे मुकाबले में हैं, उसके बावजूद संकेत हैं कि सपा व बसपा जैसे दलों को मार्जिन वोटों के मद्देनजर कांग्रेस यहां तवज्जो दे सकती है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमलावर रहे राहुल गांधी
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगायाकि ‘‘ प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा देश के संविधान और संस्थानों पर हमले कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि लोगों के सामने यह सवाल है कि इसे कैसे रोका जाए. उन्होंने कहा कि विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पेट्रोल और डीजल के दामों को माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के दायरे में लाने के लिए कह रहा है लेकिन उनकी इसमें रुचि नहीं है. कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘(नोटबंदी के जरिए) मुंबई पर हमला किया गया. यहां छोटे उद्योग, कारोबारी हैं. यहां चमड़ा उद्योग और कपड़ा उद्योग है. इन पर ‘गब्बर सिंह टैक्स ‘ के जरिए हमला किया गया. पूरा देश दुखी है. छोटे उद्यमी दुखी हैं और हम उनके लिए लड़ रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि संप्रग सरकार के शासन काल में कच्चे तेल का दाम प्रति बैरल 130 डॉलर था जो अब गिरकर प्रति बैरल 70 डॉलर पर आ गया है. राहुल गांधी ने कहा, ‘‘ हालांकि इसका लाभ आम आदमी को नहीं दिया गया. यह रुपया कहां जाता है? 15 से 20 अमीर लोगों की जेबों में.’ कांग्रेस अध्यक्ष कल से महाराष्ट्र के दो दिवसीय दौरे पर हैं.