न्यायालय का क्लैट-2018 परीक्षा रद्द करने से इंकार

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने देश के 19 राष्ट्रीय लॉ कालेजों में प्रवेश के लिये 13 मई को आयोजित क्लैट -2018 परीक्षा रद्द करने और पहले दौर की काउंसलिंग की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से आज इंकार कर दिया. शीर्ष अदालत ने 4690 छात्रों के लिये दो सदस्यीय शिकायत समिति द्वारा सुझाये गये क्षतिपूर्ति […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 13, 2018 7:03 PM

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने देश के 19 राष्ट्रीय लॉ कालेजों में प्रवेश के लिये 13 मई को आयोजित क्लैट -2018 परीक्षा रद्द करने और पहले दौर की काउंसलिंग की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से आज इंकार कर दिया. शीर्ष अदालत ने 4690 छात्रों के लिये दो सदस्यीय शिकायत समिति द्वारा सुझाये गये क्षतिपूर्ति फार्मूले को मंजूरी दे दी है. इन छात्रों ने शिकायत की थी कि तकनीकी खामियों की वजह से 13 मई की आन लाइन परीक्षा में उनका समय बर्बाद हुआ था. न्यायमूर्ति उदय यू ललित और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि पूरी क्लैट परीक्षा रद्द करने से शेष अभ्यथियों को बहुत अधिक असुविधा और परेशानी होगी.

पीठ ने कहा , ‘‘ यदि समय गंवाने वाले छात्रों की किसी अन्य तरीके से क्षतिपूर्ति की जा सकती हो तो पूरी प्रवेश परीक्षा रद्द करने की कोई वजह नहीं है . ” क्लैट की परीक्षा के लिये देश के 250 केन्द्रों पर 54464 अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था और इनमें से 4690 छात्रों ने तकनीकी खामियों की वजह से समय की बर्बादी की शिकायत की थी. केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एम आर हरिहरन नायर की अध्यक्षता में दो सदस्यीय शिकायत निदान समिति ने 4690 अभ्यर्थियों की शिकायतों को सही पाया था.
पीठ ने नेशनल यूनिवर्सिटी आफ एडवान्सड लीगल स्टडीज और क्लैट -2018 की कोर समिति को निर्देश दिया कि क्षतिपूर्ति फार्मूला लागू करने के बाद 4690 अभ्यर्थियों के अंकों में 15 जून तक बदलाव किया जाये. न्यायालय ने कहा कि शिकायत निदान समिति के सुझाव के आधार पर परिवर्तित अंकों के आधार पर मेरिट सूची तैयार की जाये. न्यायालय ने कहा कि दस जून को शुरू हुयी पहले दौर की काउंसलिंग बगैर किसी व्यवधान के जारी रहेगी और यदि किसी छात्र को सीट का आबंटन होता है तो ऐसा आबंटन 4690 छात्रों के समूह की परिवर्तित सूची के परिणाम की वजह से प्रतिकूल असर नहीं होगा. पीठ ने कहा कि जिस संस्था को परीक्षा की जिम्मेदारी दी गयी थी.
उसका ही निर्बाधित यूपीएस और जेनेरेटर सुविधा सुनिश्चित करने का काम था. रिकार्ड से पता चलता है कि इस बिन्दु पर व्यवस्था पूरी तरह अपर्याप्त थी. न्यायालय ने मानव संसाधन और विकास मंत्रालय को इस मामले में गौर करने के लिये एक समिति गठित करनी चाहिए और दंडात्मक कार्रवाई , यदि जरूरी हो , सहित उचित सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए. न्यायालय ने मंत्रालय को तीन महीने के भीतर विस्तृत् रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. न्यायालय ने छह उच्च न्यायालयों से कहा कि उनके यहां क्लैट -2018 की परीक्षाओं को लेकर लंबित याचिकाओं का निबटारा कर दिया जाये.

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