बॉम्बे हाइकोर्ट का निर्देश: ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल बंद करने पर हो विचार

नेशनल कंटेंट सेल बॉम्बे हाइकोर्ट ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से मीडिया को ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल बंद करने के लिए निर्देश जारी करने पर विचार करने को कहा है. अदालत ने यह बात सरकारी अधिकारियों को इस शब्द का इस्तेमाल नहीं करने का परामर्श देने वाला परिपत्र जारी किये जाने के मद्देनजर कही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 14, 2018 7:33 AM

नेशनल कंटेंट सेल

बॉम्बे हाइकोर्ट ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से मीडिया को ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल बंद करने के लिए निर्देश जारी करने पर विचार करने को कहा है. अदालत ने यह बात सरकारी अधिकारियों को इस शब्द का इस्तेमाल नहीं करने का परामर्श देने वाला परिपत्र जारी किये जाने के मद्देनजर कही है. बॉम्बे हाइकोर्ट की नागपुर पीठ, पंकज मेश्राम द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इसमें सभी सरकारी दस्तावेजों और पत्रों से दलित शब्द को हटाने की मांग की गयी है.

जस्टिस बीपी धर्माधिकारी और जस्टिस जेडए हक की पीठ ने कहा कि चूंकि केंद्र सरकार ने इस संबंध में अधिकारियों को जरूरी निर्देश जारी किया है, इसलिए हम पाते हैं कि वह कानून के अनुसार प्रेस काउंसिल और मीडिया को उस शब्द का इस्तेमाल करने से बचने के लिए उपयुक्त निर्देश जारी कर सकती है. मेश्राम के वकील एसआर नानावारे ने कोर्ट को छह जून को सूचित किया कि केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने 15 मार्च को परिपत्र जारी किया था जिसमें केंद्र और राज्य सरकार को ‘दलित’ शब्द का इस्तेमाल करने से बचने और उसकी जगह ‘अनुसूचित जाति से जुड़ा व्यक्ति’ शब्द का इस्तेमाल करने की सलाह दी थी.

अधिवक्ता डीपी ठाकरे ने महाराष्ट्र सरकार की तरफ से कहा कि राज्य भी इस मामले में फैसला करने की प्रक्रिया में है. कहा कि परिपत्र के आलोक में मीडिया को भी दलित शब्द का इस्तेमाल बंद करने को कहा जाना चाहिए.

छह सप्ताह के भीतर हो फैसला
बॉम्बे हाइकोर्ट की नागपुर पीठ ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को निर्देश दिया कि वह पंकज मेश्राम के मुद्दे पर विचार करे. जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए अदालत ने कहा कि हमारे सामने क्षेत्र में विभिन्न संस्थान हैं, इसलिए हम सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को निर्देश देते हैं कि वह मीडिया को इस तरह का निर्देश जारी करने के सवाल पर विचार करे और छह सप्ताह के भीतर उपयुक्त फैसला करे.

मध्य प्रदेश हाइकोर्ट भी दे चुका है निर्देश
ऐसा नहीं है कि बॉम्बे हाइकोर्ट ने ही पहली बार इस मामले में कोई निर्देश दिया है. 2018 के शुरुआत में ही मध्य प्रदेश हाइकोर्ट ने भी कहा था कि केंद्र और राज्य सरकारों को पत्राचार में दलित शब्द के इस्तेमाल से बचना चाहिए, क्योंकि यह शब्द संविधान में नहीं है.

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