श्रीनगर : केंद्र सरकार ने सद्भावना दिखाने के लिए रमजान के पवित्र महीने में कश्मीर में युद्ध विराम का एलान किया था, पर सरकार की इस पहल के उल्टे नतीजे आये. जिसके बाद ईद खत्म होते ही सरकार के युद्ध विराम का फैसला वापस ले लिया. हालांकि केंद्र में शासन कर रही भाजपा की सहयोगी पार्टी पीडीपी की नेता व राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती चाहती थीं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व गृह मंत्री राजनाथ सिंह युद्ध विराम रमजान के बाद भी जारी रखने का फैसला लें. युद्ध विराम के दौरान कश्मीर में कुल 41 लोगों की आतंकियों ने हत्या की, जिसमें पत्रकार शुजात बुखारी व सैनिक औरंगजेब भी शामिल हैं. मारे गये लोगों में नौ सुरक्षा कर्मी शहीदहुए जिनमें चार सैनिक थे. इस दौरान 20 ग्रेनेड हमले व 50 आतंकी घटनाएं घटीं.
आतंकियों की कार्रवाई में 62 नागरिक व सुरक्षा बल के 29 जवान इस अवधि में घायल हुए. एक महीने की अवधि में बीते दो साल में यह आंकड़ा सर्वाधिक है.
16 मई को रमजान शुरू होने से ठीक पहले जब गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीर में युद्ध विराम का एलान किया था तो इसका सबसे गर्मजोशी से मुख्यमंत्री मबहूबा मुफ्ती ने ही स्वागत किया था. उन्होंने यह भी उम्मीद जतायी थी कि सरकार रमजान के बाद भी युद्धविराम को जारी रखे ताकि बातचीत व समस्या के समाधान का आगे रास्ता निकल सके.
17 मई से सरकार ने युद्ध विराम को प्रभावी बनाया था. इस दिन से 17 जून जिस दिन सरकार ने युद्धविराम वापस लिया कुल 50 आतंकी हमले हुए. जबकि इससे ठीक एक महीने पहले की अवधि में 17 अप्रैल से 17 मई तक 18 आतंकी घटनाएं घटी थीं. ईद से ठीक पहले आतंकियों ने पत्रकार शुजात बुखारी व उनके दो बॉडीगार्ड की भी गोली मार कर हत्या कर दी.
हालांकि इस दौरान 24 आतंकी भी मारे गये. ज्यादातर आतंकी सीमावर्ती जिले कुपवाड़ा में मारे गये. ये आतंकी लश्कर ए तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन, जैश ए मोहम्मद और अल बदर जैसे आतंकी संगठनों के थे. एक सैन्य अधिकारी के अनुसार, ये आतंकी अत्यधिक प्रशिक्षित थे और इन्हें पीओके में प्रशिक्षित किया गया था.