नयी दिल्ली : जम्मू कश्मीर में भारतीय जनता पार्टी द्वारा महबूबा मुफ्ती सरकार से अचानक समर्थन वापस लेने का फैसला न सिर्फ सहयोगी रही पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के लिए बल्कि मोदी सरकार व भाजपा के अंदर भी कई बड़े चेहरों के लिए चौंकाने वाला रहा. भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह से मंगलवार सुबह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार अजीत डोभाल की बैठक के कुछ घंटे बाद ही भाजपा महासचिव व जम्मू कश्मीर मामलों के प्रभारी राम माधव ने पीडीपी की नेतृत्व वाली जम्मू कश्मीर सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा की. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस फैसले की मोदी सरकार में नंबर दो माने जाने वाले गृहमंत्री राजनाथ सिंह को भी जानकारी नहीं थी. जबकिआंतरिक सुरक्षा का हवाला देते हुए भाजपा ने समर्थन वापस लिया, जो सीधे तौर पर गृह मंत्रालय से जुड़ा मामला है.
अंगरेजी अखबार द टेलीग्राफ की खबर के अनुसार, इस फैसले की पूरी प्रक्रिया में न तो राजनाथ सिंह के पास सूचना थी और न ही जम्मू कश्मीर के लिए केंद्र द्वारा नियुक्त किये गये वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा को. अखबार ने दिनेश्वर शर्मा के हवाले से लिखा है कि फैसले के वक्त वे श्रीनगर में थे और उन्हें फैसले की घोषणा के बाद इसके बारे में जानकारी मिली. उन्होंने इस मुद्दे पर किसी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
रिपोर्ट के अनुसार, गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने रामजान खत्म होते समय युद्ध विराम पर उच्च स्तरीय बैठक की और उसके बाद प्रधानमंत्री मोदी पर इसे बढ़ाने के लिए दबाव बनाया था, जबकि एनएसए अजीत डोभाल व सेना प्रमुख बिपिन रावत इसके विरोध में थे. वार्ताकार शर्मा भी चाहते थे कि युद्ध विराम बढ़े. हालांकिडोभाल व जनरल रावतकीरायको महत्व मिलाऔर अंतत: सरकार ने युद्ध विराम वापस लेने का निर्णय लिया.
यह खबर भी पढ़ें :
राष्ट्रपति कोविंद ने जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन को मंजूरी दी, चौथी बार गवर्नर वोहरा को कमान
आंतरिक सुरक्षा के मामलों में अजीत डोभाल प्रधानमंत्री कार्यालय के लिए आंख व कान हैं. प्रधानमंत्री मोदी स्वयं डोभाल के हर सलाह को पूरा महत्व देते हैं. वे मोदी सरकार में एक बड़े गैर राजनीतिक पॉवर सेंटर के रूप में हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, समर्थन वापसी के बाद मंगलवार को शाम साढ़े चार बजे राजनाथ सिंह ने अकबर रोड स्थित अपने आवास पर एक बैठक की, जिसमें गृह सचिव राजीव गौबा, आइबी चीफ राजीव जैन, गृह मंत्रालय के विशेष सचिव रीना मित्रा सहित एनएसए अजीत डोभाल मौजूद थे.
राजनाथ सिंह ने जम्मू कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा से भी बात की.फिरइसके राज्यपाल शासन लागू करने की प्रक्रियाआगे बढ़ायी गयी,जिसेकुछघंटों में ही राष्ट्रपतिरामनाथकोविंदकीमंजूरी मिल गयी. इस बात के अब स्पष्ट संकेत हैं कि सरकार अब ऑपरेशन ऑल आउट – 2 को तेज करेगी, जिसमें किसी तरह का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होगा.
यह खबर भी पढ़ें :