सेना प्रमुख ने कहा-कश्मीर में पहले की तरह जारी रहेंगे आतंकवाद रोधी अभियान

नयी दिल्ली/श्रीनगर : गठबंधन सहयोगी पीडीपी से भाजपा की समर्थन वापसी और उसके बाद मुख्यमंत्री के रूप में महबूबा मुफ्ती के इस्तीफे के बाद बुधवार को जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया. एक दशक में यह चौथा मौका है जब राज्य में राज्यपाल शासन लगा है. राज्यपाल एनएन वोहरा ने श्रीनगर में कई […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 20, 2018 8:19 PM

नयी दिल्ली/श्रीनगर : गठबंधन सहयोगी पीडीपी से भाजपा की समर्थन वापसी और उसके बाद मुख्यमंत्री के रूप में महबूबा मुफ्ती के इस्तीफे के बाद बुधवार को जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया. एक दशक में यह चौथा मौका है जब राज्य में राज्यपाल शासन लगा है. राज्यपाल एनएन वोहरा ने श्रीनगर में कई बैठकें की जिनमें सुरक्षा उपायों पर चर्चा की गयी. वहीं, थलसेना प्रमुख जनरल विपिन रावत ने कहा कि घाटी में आतंकियों के खिलाफ मौजूदा सैन्य अभियान पहले की तरह जारी रहेंगे.

थलसेना प्रमुख ने नयी दिल्ली में कहा कि राज्य में राज्यपाल शासन से अभी चल रहे सैन्य अभियानों पर कोई प्रभाव पड़ने की आशंका नहीं है. पिछले एक दशक में चौथी बार राज्य में केंद्रीय शासन लगा है और संयोग की बात है कि ऐसा चारों बार वोहरा के ही कार्यकाल में हुआ. वोहरा जून, 2008 में जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल बने थे. पिछले चार दशकों में राज्य में आठवीं बार राज्यपाल शासन लगा है. गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बुधवार की सुबह नयी दिल्ली में कहा, ‘राष्ट्रपति ने जम्मू-कश्मीर में तत्काल प्रभाव से राज्यपाल शासन लगाने की मंजूरी दे दी है.’ श्रीनगर में जारी की गयी एक आधिकारिक गजट अधिसूचना में कहा गया कि राज्यपाल वोहरा ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा को निलंबित अवस्था में डाल दिया. मौजूदा विधानसभा का छह साल का कार्यकाल मार्च, 2021 में खत्म होगा.

वहीं, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार चाहती है कि जम्मू कश्मीर में आतंकवाद समाप्त हो और शांति कायम हो. उन्होंने लखनऊ में संवाददाताओं से कहा, ‘हमारा केवल एक ही मकसद है कि कश्मीर में आतंकवाद समाप्त हो और शांति व्यवस्था कायम हो तथा हमारी सरकार इसे ध्यान में रखते हुए काम करेगी.’ सिंह ने महबूबा मुफ्ती के नेतृत्ववाली पीडीपी के साथ गठबंधन तोड़ने के भाजपा के नाटकीय फैसले के बारे में पूछे गये एक सवाल का जवाब देते हुए यह कहा. वोहरा ने मंगलवार की रात राष्ट्रपति भवन को भेजी गयी एक रिपोर्ट में राज्यपाल शासन लगाने की सिफारिश की थी और उस समय राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद विमान में थे. राज्यपाल की रिपोर्ट का ब्योरा तुरंत ही सूरीनाम भेजा गया जहां अपने पहले दौरे पर जा रहे राष्ट्रपति का विमान भारतीय समयानुसार तड़के तीन बजे उतरना था. राष्ट्रपति ने रिपोर्ट को देखने के बाद अपनी मंजूरी दे दी और इस बाबत सुबह छह बजे केंद्रीय गृह मंत्रालय को सूचित किया गया. इसके बाद राज्यपाल शासन लगाने की प्रक्रिया तैयार की गयी और इसे श्रीनगर भेजा गया.

राजभवन के एक प्रवक्ता ने श्रीनगर में बताया, ‘भारत के राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के तुरंत बाद राज्यपाल एनएन वोहरा ने जम्मू-कश्मीर के संविधान की धारा 92 के तहत राज्य में राज्यपाल शासन लागू करने का बुधवार को आदेश दिया.’ राज्य प्रशासन के प्रमुख की जिम्मेदारी संभालने के बाद वोहरा ने श्रीनगर के सिविल सचिवालय में शीर्ष प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के साथ बैठकें कीं. उन्होंने बताया कि राज्यपाल ने मुख्य सचिव बीबी व्यास से उन प्रमुख कार्यों पर चर्चा की जिन्हें बुधवार को ही शुरू करके तय समयसीमा में पूरा करना है. पीडीपी-भाजपा गठबंधन के टूटने के साथ कुछ लोगों ने इस बात की आशंका जतायी कि राज्यपाल शासन से पारदर्शिता की कमी हो सकती है और राज्य में स्थिति बदतर हो सकती है. श्रीनगर, कुपवाड़ा और पहलगाम सहित कश्मीर के कई हिस्सों में लोगों ने गठबंधन के टूटने के बाद पटाखे छोड़कर खुशी मनायी.

श्रीनगर में रहने वाले फैजान मीर ने कहा, ‘यह नापाक गठबंधन था. पीडीपी को भाजपा से हाथ मिलाना ही नहीं चाहिए था. लेकिन, देर आये दुरुस्त आये. हम गठबंधन के टूटने से खुश हैं.’ हालांकि कुछ लोगों ने कहा कि एक निर्वाचित सरकार हर सूरत में राज्यपाल शासन से बेहतर होती है. मध्य कश्मीर के गंदेरबल इलाके के निवासी फिरोज अहमद भट्ट ने कहा, ‘वे (केंद्र सरकार) अब सरकारी की अनुपस्थिति में कुछ भी कर सकते हैं, जबकि सरकार होने पर कुछ मुद्दों पर वह उनपर दबाव बना सकती थी.’ पुलिस ने बताया कि राज्यपाल द्वारा की गयी बैठकों में वार्षिक अमरनाथ यात्रा से जुड़ी सुरक्षा तैयारियों का भी उल्लेख हुआ और सुरक्षा बलों से पहले ही ‘सर्वोच्च स्तर की चौकसी’ एवं ‘सामंजस्य’ बनाये रखने को कहा जा चुका है.

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