चेन्नई: मनोनीत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शपथ ग्रहण समारोह में श्रीलंका के राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को निमंत्रण दिए जाने के सभी वर्गों की ओर से हो रहे विरोध के बीच माकपा ने आज कहा कि केंद्र सरकार को इस अवसर का उपयोग श्रीलंका के तमिलों के मुद्दे के समाधान में करना चाहिए.
माकपा के महासचिव जी. रामकृष्णन ने यहां एक बयान जारी कर कहा, ‘‘युद्ध के अंतिम चरण (2009 में लिट्टे के खिलाफ) के दौरान कथित मानवाधिकार उल्लंघन की जांच नहीं हुई. साथ ही तमिल इलाकों में शक्ति के विकेंद्रीकरण के कदम भी नहीं उठाए गए..’’ उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को राजपक्षे के कल के दिल्ली दौरे का इस्तेमाल करना चाहिए और तमिल मुद्दों के समाधान के लिए उन पर ‘‘और दबाव बनाना’’ चाहिए.
मोदी द्वारा राजपक्षे को निमंत्रण देने की तमिलनाडु की सभी बडे राजनीतिक दलों ने निंदा की. लिट्टे के खिलाफ 2009 में युद्ध के अंतिम चरण में श्रीलंका की सेना द्वारा कथित युद्ध अपराध के परिप्रेक्ष्य में मुख्यमंत्री जे. जयललिता और द्रमुक अध्यक्ष एम. करुणानिधि ने भी इस पहल की आलोचना की.
राजग के गठबंधन सहयोगियों एमडीएमके, पीएमके और डीएमडीके ने भी राजपक्षे की यात्र का विरोध किया. तमिल समर्थक संगठनों के सदस्यों ने राजपक्षे की यात्र के खिलाफ यहां विरोध प्रदर्शन किया.श्रीलंका के तमिलों के हित के लिए लड रहे ‘‘17 मई मूवमेंट’’ के प्रदर्शनकारियों ने दौरे के खिलाफ तख्तियां लहराईं और उनके खिलाफ नारेबाजी की.