श्रीनगर : उत्तर प्रदेश के दो युवकों ने कश्मीर के पत्थरबाजों की पोल खोल दी है. बताया जा रहा है कि नौकरी का लालच देकर उन्हें कश्मीर में पत्थरबाजी के लिए बुलायी गया. अंग्रेजी न्यूज चैनल टाइम्स नाउ की मानें तो, बागपत और सहारनपुर के दो युवकों को यह ऑफर दिया गया था. युवकों को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 20 हजार रुपये महीने की सैलरी पर टेलर की नौकरी दिलाने का वादा किया था. हालांकि बाद में उन्हें बुलाने वालों ने पत्थरबाजी की ट्रेनिंग लेने के लिए दबाव डाला. दोनों युवकों ने कबूल किया है कि जम्मू-कश्मीर पहुंचने के बाद नौकरी देने के बजाए उन्हें सुरक्षाबलों के खिलाफ पत्थरबाजी में झोंक दिया गया.
एक युवक ने कहा कि शुरुआत में मैंने दो से तीन महीने के लिए टेलर (दर्जी) का काम किया, लेकिन इस नौकरी ने मुझे चिंता में डाल रखा था. जब मैंने वहां से लौटने की गुजारिश की, तो इसकी इजाजत मुझे नहीं दी गयी. हमें चोरी जैसे झूठे मामलों में फंसाने की धमकी दी गयी. उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस मामले के जांच के आदेश दिये हैं. बागपत के एसपी और सहारनपुर के एसएसपी से जांच पूरी करने के बाद रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है. सूत्रों के अनुसार मामले की तफ्तीश के लिए जम्मू-कश्मीर पुलिस की मदद ली जा सकती है.
पिछले कुछ साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस दौरान कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी के मामलों में काफी तेजी आयी है. गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, रमजान युद्धविराम यानी 17 मई से 16 जून के बीच जहां पत्थरबाजी के 107 मामले सामने आए, वहीं 15 अप्रैल से 16 मई के बीच पत्थरबाजी की 258 घटनाएं हुईं. सूत्रों की मानें तो, कश्मीरी युवकों को कट्टरपंथ में झोंकने के लिए अलगाववादियों के साथ ही आतंकी समूह भी काम कर रहे हैं.
खुफिया रिपोर्ट और सुरक्षा एजेंसियों की तफ्तीश में यह बात सामने आयी है कि जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान, अलगाववादियों और दूसरे स्रोतों के जरिए सुरक्षाबलों के खिलाफ पथराव की फंडिंग कर रहा है.