Criminal Investigation में आधार की बायोमेट्रिक डेटा का नहीं किया जा सकता इस्तेमाल
नयी दिल्ली : भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने शुक्रवार को दावा करते हुए कहा कि आधार अधिनियम के तहत आधार की बायोमेट्रिक जानकारी (डेटा) का इस्तेमाल आपराधिक जांच में नहीं किया जा सकता है. प्राधिकरण का यह बयान ऐसे समय आया है, जब एक दिन पहले राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने अपराध पकड़ने […]
नयी दिल्ली : भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने शुक्रवार को दावा करते हुए कहा कि आधार अधिनियम के तहत आधार की बायोमेट्रिक जानकारी (डेटा) का इस्तेमाल आपराधिक जांच में नहीं किया जा सकता है. प्राधिकरण का यह बयान ऐसे समय आया है, जब एक दिन पहले राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने अपराध पकड़ने के लिए पुलिस को आधार की सूचनाओं की सीमित उपलब्धता की बातें की थी.
इसे भी पढ़ें : ‘आधार’ नहीं बनवानेवाले अपराधी नहीं : सुप्रीम कोर्ट
प्राधिकरण ने जारी बयान में यह भी कहा कि आधार की सूचनाएं कभी भी किसी आपराधिक जांच एजेंसी के साथ साझा नहीं की गयी हैं. प्राधिकरण ने कहा कि आधार अधिनियम 2016 की धारा 29 के तहत आधार जैविक सूचनाओं का इस्तेमाल आपराधिक जांच के लिए स्वीकृत नहीं है. उसने कहा कि अधिनियम की धारा 33 के तहत बेहद सीमित छूट दी गयी है.
इसके तहत राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला होने पर आधार की जैविक सूचनाओं का इस्तेमाल तभी किया जा सकता है, जब मंत्रिमंडलीय सचिव की अध्यक्षता वाली समिति इसके लिए पूर्व-प्राधिकरण दे चुकी हो. उसने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में आधार मामले की चल रही सुनवाई में भी भारत सरकार का यह लगातार पक्ष रहा है.
प्राधिकरण ने आगे कहा कि उसके द्वारा जमा की गयी जैविक सूचनाओं का इस्तेमाल महज आधार बनाने तथा आधारधारक के सत्यापन के लिए की जा सकती है. इसके अलावा, किसी भी अन्य उद्देश्य के लिए इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.