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2019 में विपक्ष का चक्रव्यूह भेदने के लिए भाजपा ने कसी कमर, ऐसी होगी रणनीति

हर लोकसभा क्षेत्र में एक प्रभारी की नियुक्ति होगीपिछली बार हारने वाली सीटों पर होगा विशेष फोकस नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बढ़ते राजनीतिक कद के मद्देनजर विपक्ष के एकजुट होने की तेज होती कवायद के बाद भारतीय जनता पार्टी ने नये सिरे से चुनावी रणनीति तय करनी शुरू कर दी है. अमित […]


हर लोकसभा क्षेत्र में एक प्रभारी की नियुक्ति होगी
पिछली बार हारने वाली सीटों पर होगा विशेष फोकस

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बढ़ते राजनीतिक कद के मद्देनजर विपक्ष के एकजुट होने की तेज होती कवायद के बाद भारतीय जनता पार्टी ने नये सिरे से चुनावी रणनीति तय करनी शुरू कर दी है. अमित शाह के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी ने तय किया है कि वह सभी 543 लाेकसभा सीटों पर एक-एक प्रभारी को नियुक्त करेगी. ये प्रभारी महीनों पूर्व से वहां की चुनावी तैयारियों और चुनौतियों का जायजा लेंगे और स्थानीय नेताओं के बारे में भी इनपुट जुटाएंगे. महत्वपूर्ण बात यह कि लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी उस क्षेत्र का स्थानीय निवासी नहीं होगा, ताकि वह किसी तरह के पूर्वाग्रह से ग्रस्त न हो और उस पर पक्षपात का आरोप लगाने का किसी को मौका नहीं मिले.

यह भी संभावना है कि पार्टी पिछली बार जहां चुनाव जीतने से वंचित रह गयी, वहां राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की पृष्ठभूमि को लोगों को प्रभारी नियुक्त किया जाए. इसमें संघ से जुड़े पूर्णकालिक कार्यकर्ताओं का उपयोग किया जा सकता है.

भाजपा हर लोकसभा क्षेत्र में एक तीन सदस्यीय सोशल मीडिया टीम, एक तीन सदस्यीय मीडिया टीम, तीन सदस्यों वाली एक लीगल टीम बनाएगी. इसके साथ ही दो सदस्यों वाली एक टीम का निर्माण किया जाएगा जो केंद्र व राज्य की योजनाओं के कार्यान्वयन पर नजर रहेगी और उसे प्रभावी बनाने के प्रयास करेगी.

इसके साथ ही पार्टी हर राज्य में 11 सदस्यीय चुनाव तैयारी टोली बनाएगी, जिसकी जिम्मेवारी उस राज्य में चुनाव की तैयारियां की रणनीति तय करना होगी. यह टीम 13 विशेष मुद्दों पर फोकस होकर काम करेगी और इस संबंध में रिपोर्ट तैयार करा कर केंद्र को अवगत कराएगी.

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह चुनाव के पूर्व सभी राज्यों का दौरा कर लेंगे और वहां के सांगठनिक ताने-बाने का जायजा लेंगे. इसकी शुरुआत अमित शाह ने 10 जून को छत्तीसगढ़ दौरेे से कर दी है. हालांकि वहां इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव भी होना है.

सभी महासचिवों को उनकी योग्यता व पुराने रिकॉड को देखते हुए राज्यों का प्रभार सौंपा जाएगा. पार्टी विपक्षी एकता की संभावना के मद्देनजर अपने लिए नये वोट आधार पर तैयार करने का प्रयास करेगी. उत्तरप्रदेश में सपा व बसपा एवं कर्नाटक में कांग्रेस व जेडीएस के गंठबंधन के बाद भाजपा नये सिरे से अपनी चुनावी रणनीति को अधिक प्रभावी बनाने में जुटी है.

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