बेंगलुरु : कर्नाटक की राजनीति सरगर्मी ठंडी होती नजर नहीं आ रही है. पहले मंत्रिमंडल में संख्या को लेकर, फिर कैबिनेट पद और अब बजट को लेकर विवाद की बात सामने आ रही है. हालात ऐसे हैं कि पांच जुलाई को कुमारस्वामी सरकार के बजट पेश करने से पहले यहां महज चार हफ्ते पुरानी सरकार के गिरने तक की खबर सुर्खियों में है. सूबे में गठबंधन सरकार अपने ही मंत्रियों और विधायकों की नाराजगी के कारण संकट में नजर आ रही है.
इधर, कांग्रेस के असंतुष्ट नेता की ओर से बातचीत के प्रयास की कोई गुंजाइश नजर नहीं आ रही है. कर्नाटक सरकार के लिए सबसे ज्यादा मुश्किल यह भी है कि कांग्रेस के अधिकतर नाराज नेता सरकार गिराने के लिए विरोधी भाजपा के साथ संपर्क करने में लगे हैं.
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, जो जेडीएस-कांग्रेस समन्वय समिति के अध्यक्ष भी हैं, इस वक्त हिमाचल के धर्मशाला में नैचुरोपैथी की शरण में हैं. वे इस समय पूर्णतया ब्रेक पर हैं और अपने रीट्रीट के दौरान फोन तक रिसीव नहीं कर रहे हैं. हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि उनकी अपने विश्वसनीय एसटी सोमशेखर, बी सुरेश और एन मुनिरत्न के साथ लगातार बातचीत हो रही है.
भाजपा सूत्रों की मानें तो शाह ने येदियुरप्पा को जल्दबाजी न करने को कहा है. आधिकारिक रूप से बताया गया है कि येदियुरप्पा और बोम्मई 2019 लोकसभा चुनाव पर बैठक के लिए शाह से मुलाकात करने गये हैं. साथ ही उन्हें 29 जून को आयोजित भाजपा की राज्य कार्यकारिणी समिति की बैठक में शामिल होने के लिए आमंत्रित करेंगे. इधर , कुमारस्वामी ने सोमवार को सुर बदला और कहा कि वह किसी की दया से मुख्यमंत्री नहीं बने हैं. आपने (कांग्रेस) ने मुझे खैरात में यह सीट नहीं दी है. आप इसका ख्याल रखें… मुझे चिंता नहीं कि मैं कब तक कार्यकाल में रहूंगा.