सुप्रीम कोर्ट में निकाह हलाला का विरोध करेगी सरकार, जानिये क्यों…?

नयी दिल्ली : कानून मंत्रालय के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में ‘निकाह हलाला’ की प्रथा का विरोध करेगी, जब शीर्ष अदालत आने वाले दिनों में इसकी कानूनी वैधता की पड़ताल करेगी. ‘निकाह हलाला’ मुसलमानों में वह प्रथा है, जो समुदाय के किसी व्यक्ति को अपनी तलाकशुदा पत्नी से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 29, 2018 11:16 PM

नयी दिल्ली : कानून मंत्रालय के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में ‘निकाह हलाला’ की प्रथा का विरोध करेगी, जब शीर्ष अदालत आने वाले दिनों में इसकी कानूनी वैधता की पड़ताल करेगी. ‘निकाह हलाला’ मुसलमानों में वह प्रथा है, जो समुदाय के किसी व्यक्ति को अपनी तलाकशुदा पत्नी से फिर से शादी करने की इजाजत देता है.

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मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि सरकार का मानना है कि यह प्रथा ‘लैंगिक न्याय’ (जेंडर जस्टिस) के सिद्धांतों के खिलाफ है और उसने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में अपना रुख स्पष्ट कर दिया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने तब सिर्फ फौरी ‘तीन तलाक’ के मुद्दे पर सुनवाई करने का फैसला किया था, जबकि निकाह हलाला और बहु-विवाह प्रथा पर अलग से विचार करने का फैसला किया था. मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने निकाह हलाला और बहु-विवाह प्रथा पर केंद्र को नोटिस जारी किया था.

अधिकारी ने कहा कि सरकार का रुख एक जैसा है. भारत सरकार इस प्रथा के खिलाफ है. यह सुप्रीम कोर्ट में प्रदर्शित होगा. शीर्ष न्यायालय ने पिछले साल तीन तलाक की प्रथा को असंवैधानिक घोषित कर दिया था. सरकार तीन तलाक को एक दंडनीय अपराध बनाने के लिए बाद में एक विधेयक लेकर आयी. लोकसभा ने यह विधेयक पारित कर दिया और अब यह राज्यसभा में लंबित है. यह तीन तलाक को अवैध बनाता है और पति के लिए तीन साल तक की कैद की सजा का प्रावधान करता है.

मसौदा कानून के तहत तीन तलाक किसी भी रूप में (मौखिक, लिखित या ईमेल, एसएमएस और व्हाट्सऐप सहित इलेक्ट्रानिक तरीके से) अवैध और अमान्य होगा. निकाह हलाला की कानूनी वैधता की अब सुप्रीम कोर्ट पड़ताल करेगा. अदालत की एक संविधान पीठ इस प्रथा की वैधता को चुनौती देने वाली चार याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.

निकाह हलाला के तहत एक व्यक्ति अपनी पूर्व पत्नी से तब तक दोबारा शादी नहीं कर सकता, जब तक कि वह महिला किसी अन्य पुरूष से शादी कर उससे शारीरिक संबंध नहीं बना लेती और फिर उससे तलाक लेकर अलग रहने की अवधि (इद्दत) पूरा नहीं कर लेती.

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