यूजीसी को खत्म नहीं करे और जनता की बचत के पैसे से बैंकों को बचाने की पहल न करे सरकार : माकपा
नयी दिल्ली : माकपा ने केन्द्र सरकार के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को खत्म करने के फैसले का विरोध करते हुये इसे बरकरार रखने की मांग की है. माकपा पोलित ब्यूरो ने यूजीसी की जगह उच्च शिक्षा आयोग के गठन को व्यर्थ की कवायद बताते हुये कहा कि सरकार आनन फानन में इस आशय का […]
नयी दिल्ली : माकपा ने केन्द्र सरकार के विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) को खत्म करने के फैसले का विरोध करते हुये इसे बरकरार रखने की मांग की है. माकपा पोलित ब्यूरो ने यूजीसी की जगह उच्च शिक्षा आयोग के गठन को व्यर्थ की कवायद बताते हुये कहा कि सरकार आनन फानन में इस आशय का विधेयक संसद के आगामी मानसून सत्र में पारित कराना चाहती है.
पोलित ब्यूरो की ओर से जारी बयान में सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुये कहा गया है कि इस विधेयक के जरिए सरकार ने देश के उच्च शिक्षण संस्थानों को अनुदान जारी करने का अधिकार अपने हाथ में रखने का प्रावधान किया है. पार्टी ने कहा कि सरकार सभी के लिये शिक्षा के समान अवसर सुलभ कराने वाली व्यवस्था लागू करने के बजाय शिक्षा क्षेत्र का बाजारीकरण करना चाहती है.
पार्टी ने कहा कि इसके अलावा प्रस्तावित नयी व्यवस्था में शैक्षिक संस्थाओं की मान्यता संबंधी सभी अधिकार नौकरशाहों को सौंपने के प्रावधान किये गए हैं जबकि सीमित स्वायत्त अधिकारों के बावजूद यूजीसी द्वारा संचालित व्यवस्था में यह जिम्मेदारी शिक्षाविदों के हाथ में थी.
पार्टी ने सरकार से व्यवस्था में बदलाव से उच्च शिक्षा क्षेत्र में होने वाले संभावित नुकसान का हवाला देते हुये इस विधेयक को तत्काल वापस लेने की मांग की है। इसके अलावा पार्टी पोलित ब्यूरो ने दिवालिया होने जा रहे बैंक आईडीबीआई के घाटे की भरपाई जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के पैसे से करने की सरकार की पहल का भी विरोध किया है.
पोलित ब्यूरो ने कहा कि एलआईसी में जनता की बचत का पैसा जमा होता है और इस जमापूंजी में से 13 हजार करोड़ रुपये की सहायता राशि आईडीबीआई को जारी की जायेगी. पोलित ब्यूरो ने दलील दी कि कानून के तहत एलआईसी बैंकिंग कारोबार के लिये अधिकृत नहीं है, कानून की इस बाधा को दूर करने के लिये मोदी सरकार आननफानन में नियमों में बदलाव करने पर दबाव डाल रही है। पार्टी ने जनता की बचत राशि से बैंकों की डूबी रकम की भरपायी करने के कदम से बचने की सरकार से मांग की.