देश की पहली महिला विदेश मंत्री बनने की उपलब्धि भी सुषमा के नाम

नयी दिल्ली : सुषमा स्वराज ने आज देश की पहली महिला विदेश मंत्री बनने के साथ ही अपने राजनीतिक करियर में एक और उपलब्धि दर्ज की. मात्र 25 वर्ष की आयु में हरियाणा सरकार में सबसे युवा कैबिनेट मंत्री बनने वाली सुषमा के खाते में राजनीति के क्षेत्र में और भी कई उपलब्धियां दर्ज हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 27, 2014 12:26 PM

नयी दिल्ली : सुषमा स्वराज ने आज देश की पहली महिला विदेश मंत्री बनने के साथ ही अपने राजनीतिक करियर में एक और उपलब्धि दर्ज की. मात्र 25 वर्ष की आयु में हरियाणा सरकार में सबसे युवा कैबिनेट मंत्री बनने वाली सुषमा के खाते में राजनीति के क्षेत्र में और भी कई उपलब्धियां दर्ज हैं. दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता बनने की उपलब्धि भी उन्हीं के नाम दर्ज है.

62 वर्षीय सुषमा को प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालय का भी प्रभार सौंपा गया है. सुषमा केंद्रीय कैबिनेट के सबसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों से शामिल विदेश मंत्रालय का प्रभार ऐसे समय में संभाल रही हैं जब भारत के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय प्रभाव ने उसे वैश्विक मामलों में एक प्रमुख आवाज बना दिया है. पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंध भारतीय विदेश नीति निर्माताओं के समक्ष कुछ स्थायी चुनौतियों में से एक हैं.

संयोगवश एमईए (विदेशी मामलों के मंत्रालय) में विदेश सचिव सुजाता सिंह भी महिला हैं. सुषमा 1977 में 25 वर्ष की आयु में सबसे युवा कैबिनेट मंत्री बनी थीं. उन्होंने हरियाणा में शिक्षा मंत्रालय का कार्यभाल संभाला था. सुषमा 1979 में भाजपा की हरियाणा इकाई की अध्यक्ष बनी थीं और वह श्रेष्ठ सांसद पुरस्कार से सम्मानित होने वाले चुनिंदा सांसदों में शामिल हैं.

सुषमा ने कानून में स्नातक हैं और उच्चतम न्यायालय में वकालत भी की है. वह सात बार सांसद और तीन बार विधायक चुनी गई हैं. उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1970 के दशक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ की थी. अम्बाला छावनी से 1977 से 1983 तक हरियाणा विधानसभा की सदस्य रहीं सुषमा ने देवी लाल सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण की थी.

सुषमा ने 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी की 13 दिनों की सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय संभाला था. उन्होंने अक्तूबर 1998 में दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यभार संभालने के लिए वाजपेयी के अगले कार्यकाल में कैबिनेट मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था.

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