अब जल से हाइड्रोजन ईंधन बनाना हुआ सस्ता

वाशिंगटन : वैश्विक स्तर पर हाइड्रोजन ईंधन की बढ़ती मांग के बीच इसके उत्पादन की सरल और सस्ती तकनीक विकसित करने का भी दबाव लंबे समय से रहा है. इन दोनों िबंदुओं पर वैज्ञानिक शोध की दिशा में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल भी की गयी हैं, मगर हाल में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इस क्षेत्र में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 1, 2018 7:57 AM

वाशिंगटन : वैश्विक स्तर पर हाइड्रोजन ईंधन की बढ़ती मांग के बीच इसके उत्पादन की सरल और सस्ती तकनीक विकसित करने का भी दबाव लंबे समय से रहा है. इन दोनों िबंदुओं पर वैज्ञानिक शोध की दिशा में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल भी की गयी हैं, मगर हाल में अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इस क्षेत्र में एेसी खोज की है, जो हाइड्रोजन ईंधन के कारोबार और इसके उपयोग के मामले में बड़ी राहत लेकर आ रही है. इसकी खोज करने वाले वैज्ञानिक इसे केवल लैब तक सीमित रखने के पक्ष में नहीं है, बल्कि इस तकनीक के इस्तेमाल का लाभ वैश्विक स्तर पर हो सके, इसके लिए वे इसे व्यावसायिक रूप देने के पक्ष में हैं.

दरअसल, हाइड्रोजन ईंधन बनाने की प्रक्रिया में जल को तोड़ा जाता है. यह प्रक्रिया जटिल और खर्चीली, दोनों है. लिहाजा हाइड्रोजन ईंधन अमूमन महंगा होता है. अब वैज्ञानिकों ने एक ऐसी किफायती सामग्री विकसित की है, जो जल को तोड़कर हाइड्रोजन ईंधन बनाने में मदद कर सकती है. अमेरिका स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन और कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने कहा कि इसमें पानी से हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए आवश्यक ऊर्जा की मात्रा को नाटकीय रूप से कम करने की क्षमता होती है. कम ऊर्जा जरूरत का मतलब यह हुआ कि हाइड्रोजन उत्पादन कम लागत पर किया जा सकता है.

यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन के प्रोफेसर झिफेंग रेन ने कहा कि इससे हम वाणिज्यीकरण के करीब आये हैं. हाइड्रोजन को कई औद्योगिक उपयोगों में स्वच्छ ऊर्जा के वांछनीय स्रोत के रूप में जाना जाता है. नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट में रेन ने कहा कि चूंकि इसे सम्पीड़ित किया जा सकता है या तरल रूप में बदला जा सकता है, इसलिए ऊर्जा के कुछ अन्य स्वरूपों की तुलना में इसका अधिक आसानी से भंडारण किया जा सकता है. हालांकि बड़ी मात्रा में गैस उत्पादन के लिए प्रायोगिक, किफायती और पर्यावरण अनुकूल तरीका खोजना – खासकर पानी को इसके अवयवों में तोड़कर – एक चुनौती रहा है. यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्टन के सहायक प्रोफेसर शुओ चेन ने कहा कि हमारे द्वारा विकसित सामग्री धरती पर प्रचुर में मात्रा में उपलब्ध तत्वों पर आधारित है .

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