पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, कश्मीर में हमारा लक्ष्य सुशासन और विकास
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि जम्मू कश्मीर में केंद्र का लक्ष्य ‘सुशासन, विकास, जिम्मेदारी और जवाबदेही’ सुनिश्चित करना है. प्रधानमंत्री ने ‘स्वराज्य पत्रिका’ को दिये साक्षात्कार में आंतरिक सुरक्षा, माओवादी हिंसा और पूर्वोत्तर की स्थिति जैसे विविध विषयों पर चर्चा की. उन्होंने जोर दिया कि संप्रग सरकार के दौरान आतंकी […]
नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि जम्मू कश्मीर में केंद्र का लक्ष्य ‘सुशासन, विकास, जिम्मेदारी और जवाबदेही’ सुनिश्चित करना है. प्रधानमंत्री ने ‘स्वराज्य पत्रिका’ को दिये साक्षात्कार में आंतरिक सुरक्षा, माओवादी हिंसा और पूर्वोत्तर की स्थिति जैसे विविध विषयों पर चर्चा की. उन्होंने जोर दिया कि संप्रग सरकार के दौरान आतंकी हमले आम बात थी और वह अब इतिहास बन गयी है. मोदी ने कहा, ‘कश्मीर में हमारा लक्ष्य ‘सुशासन, विकास, जिम्मेदारी और जवाबदेही’ है .’
उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर में 20 जून के बाद से राज्यपाल का शासन है. यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य में विभिन्न पक्षकारों से वार्ता होगी, उन्होंने कहा कि सरकार ने वार्ताकार नियुक्त किया है जो कई लोगों के संपर्क में हैं . वे वहां की यात्रा कर रहे हैं और लोगों से बात कर रहे हैं . देश में सुरक्षा स्थिति का जिक्र करते हुए मोदी ने बहादुर और सतर्क सुरक्षा बलों की शांति स्थापित करने के कार्यों की सराहना की. उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्षों में माओवादी हिंसा के संबंध में अगर संख्या के हिसाब से बात करें तो इससे प्रत्येक भारतीय को खुश होना चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रभावित राज्यों में माओवादी हिंसा में 20 प्रतिशत की गिरावट आयी है.
साल 2013 की तुलना में 2017 में इससे जुड़ी मौतों की संख्या में 34 प्रतिशत की गिरावट आयी है. भौगोलिक रूप से भी माओवादी हिंसा के प्रभाव में कमी आई है. हिंसा को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति के साथ प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि उनकी सरकार आधारभूत ढांचे के विकास और सामाजिक सशक्तीकरण को गति प्रदान करके माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में गरीबों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना चाहती है. प्रधानमंत्री ने इस संबंध में माओवादी प्रभावित 34 जिलों में 4500 किलोमीटर सड़कों के निर्माण, मोबाइल टावर स्थापित करने, केंद्रीय विद्यालय एवं नवोदय विद्यालय स्थापित करने की चर्चा की.
इसके अलावा इन इलाकों में बैंकों की शाखाएं एवं एटीएम स्थापित करने का भी उल्लेख किया. यह पूछे जाने पर कि क्या वामपंथ चरमपंथ प्रभावित इलाकों के दायरे में वास्तव में कमी आयी है, प्रधानमंत्री ने कहा कि 126 जिलों में से 44 जिलों को माओवादी प्रभावित क्षेत्र की सूची से बाहर किया गया है. उन्होंने कहा कि कोई भी इलाका अपने को वामपंथी चरमपंथ प्रभावित इलाका कहलाना पसंद नहीं करता है. उन्होंने कहा कि 2014 से 2017 के बीच 3380 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया जबकि साल 2010 से 2013 के बीच यह संख्या 1380 थी . मोदी ने कहा कि लोगों की समस्या का समाधान हिंसा से नहीं बल्कि विकास से हो सकता है.
पूर्वोत्तर की स्थिति का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर में सुरक्षा की स्थिति काफी बेहतर हुई है. साल 2017 में इस क्षेत्र में अलगाववाद से जुड़ी घटनाएं और सुरक्षा बलों एवं नागरिकों की मौत के मामले भी 20 वर्षो में सबसे कम रहे हैं. उन्होंने कहा कि त्रिपुरा और मिजोरम अलगाववाद से पूरी तरह से मुक्त हुआ है. मेघालय में सभी क्षेत्रों से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम को 31 मार्च 2018 से हटा लिया गया है. अरूणाचल प्रदेश में भी यह केवल आठ थानों में है. मोदी ने कहा कि यह दुखद है जब गुमराह युवा हिंसा का रूख कर रहे हैं. हम इन युवाओं को मुख्यधारा में लाना चाहते हैं ताकि वे देश के विकास में योगदान कर सकें.