नयी दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को कहा कि उपराज्यपाल अनिल बैजल इस बात से सहमत नहीं हैं कि सेवा विभाग का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंपा जाना चाहिए. उन्होंने यह भी दावा किया कि भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन करने से खुले तौर पर मना कर दिया हो.
उपराज्यपाल के साथ 25 मिनट तक हुई बैठक के बाद केजरीवाल ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि बैजल ने गृह मंत्रालय से सलाह मांगी थी और उन्हें बताया गया कि सेवाओं को दिल्ली सरकार को नहीं दिया जाना चाहिए. केजरीवाल के नौ दिन के धरने के बाद उनकी उपराज्यपाल से यह पहली मुलाकात थी. उनके साथ उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी वहां पहुंचे. केजरीवाल ने गुरुवार को ही पत्र लिखकर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करवायें. आप नेता ने संवाददाताओं से कहा कि इससे देश में अराजकता फैल जायेगी. उन्होंने कहा, ‘उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि तीन विषयों पुलिस, भूमि एवं लोक व्यवस्था को छोड़कर दिल्ली सरकार के पास अन्य विषयों में कार्यपालिका के अधिकार होंगे. उप राज्यपाल इस बात से सहमत नहीं हैं कि सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली सरकार को सौंपा जाना चाहिए.’
उच्चतम न्यायालय द्वारा ऐतिहासिक निर्णय दिये जाने के कुछ ही घंटों बाद दिल्ली सरकार ने नौकरशाहों के तबादलों एवं नियुक्ति के लिए एक नयी प्रणाली लागू की जिसमें मुख्यमंत्री को अनुमति देनेवाला प्राधिकार बना दिया गया. बहरहाल, इस मामले में सेवा विभाग ने अनुपालन करने से यह कहकर इनकार कर दिया कि उच्चतम न्यायालय ने 2016 में जारी अधिसूचना को खारिज नहीं किया है. इस अधिसूचना में तबादलों एवं नियुक्ति के लिए गृह मंत्रालय को प्राधिकार बनाया गया है.
इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को घर तक राशन पहुंचाने के प्रस्ताव पर ‘सभी आपत्तियों’ को खारिज करते हुए इसे मंजूरी दे दी. उपराज्यपाल की शक्तियों पर कैंची चलानेवाले उच्चतम न्यायालय के आदेश के दो दिन बाद केजरीवाल ने यह मंजूरी दी. मुख्यमंत्री ने खाद्य विभाग को इस योजना को तत्काल लागू करने के भी निर्देश दिये. उपराज्यपाल अनिल बैजल ने घर तक राशन पहुंचाने के दिल्ली सरकार के महत्वाकांक्षी प्रस्ताव पर आपत्ति जतायी थी और इसे लागू करने से पहले आप सरकार को केंद्र के साथ विचार-विमर्श करने को कहा था. केजरीवाल ने टि्वटर पर कहा, ‘राशन घर तक पहुंचाने की योजना को मंजूरी दे दी गयी है. प्रस्ताव पर सभी आपत्तियों को खारिज कर दिया है. खाद्य विभाग को इसे तुरंत लागू करने के निर्देश दियेगये हैं. विभाग को मुझे नियमित प्रगति की जानकारी देने के निर्देश दिये हैं.’
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की अध्यक्षतावाली व्यय वित्त समिति की बैठक में दिल्ली सरकार ने सिग्नेचर ब्रिज को अंतिम रूप देने और दिल्ली प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के शैक्षणिक एवं छात्रावास खंडों के निर्माण की दो अन्य परियोजनाओं को मंजूरी दी. सिसोदिया ने ट्वीट किया, ‘दो प्रमुख परियोजनाओं को मंजूरी. पहली, सिग्नेचर ब्रिज को अंतिम रूप देना. अब इसके निर्माण का काम अक्तूबर 2018 तक पूरा होगा. दूसरी, दिल्ली प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में दो नये शैक्षणिक खंडों और तीन नये छात्रावासों का निर्माण. इससे डीटीयू में करीब तीन हजार छात्र बढ़ेंगे.’ सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि मंत्रिमंडल ने पहले ही इस योजना को मंजूरी दे दी थी और अनुमति के लिए इसे उपराज्यपाल के पास भेजा था.
बहरहाल, उपराज्यपाल ने इसे वापस सरकार के पास भेज दिया था और उसे केंद्र सरकार से विचार विमर्श करने के लिए कहा था. उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद मुख्यमंत्री ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दी. उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि उपराज्यपाल बाधाकारी नहीं हो सकते और उन्हें निर्वाचित सरकार की सलाह पर काम करना चाहिए.