नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने लश्कर-ए-तय्यबा के बम विशेषज्ञ अब्दुल करीम टुंडा के खिलाफ 1996 में विस्फोटक की बरामदगी से संबंधित मामले से निपटने के दिल्ली पुलिस के तरीके को आज नामंजूर कर दिया. अदालत ने कहा कि ठीक से जांच नहीं की गई है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश भरत पाराशर ने दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ को निर्देश दिया कि वह आरोपी के खिलाफ 30 जून तक आरोप तय करने पर लिखित दलील दाखिल करे. उसी दिन मामले की अगली सुनवाई होनी है.जैसे ही लोक अभियोजक राजीव मोहन ने आरोप तय करने पर अपनी दलील देनी शुरु की अदालत ने कहा कि मामले में की गई जांच सही नहीं थी और पुलिस को अपनी लिखित दलील दाखिल करने का निर्देश दिया.
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आप (पुलिस) मुझे सबकुछ लिखित में दें. जब तक आप मुङो लिखित में नहीं देंगे, मैं आगे की जांच का आदेश दूंगा. यह सही जांच नहीं है.’’ न्यायाधीश ने कहा कि वह अब कोई मौखिक दलील नहीं सुनेंगे.अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया कि वह अपने लिखित दलील की प्रति अधिवक्ता एम एस खान और अकरम खान को दे. ये दोनों 72 वर्षीय टुंडा की ओर से उपस्थित हुए थे.
अधिवक्ता खान ने अदालत से कहा कि अगर अग्रिम में लिखित दलील दी गई तो वह 30 जून को अपनी दलील दाखिल करेंगे. इसपर अदालत ने यह भी कहा कि वह मामले में कार्यवाही को अब और लंबा नहीं खींचेगी.
अदालत ने इससे पहले संकेत दिया था कि कठोर आतंकवादी और विध्वंसक क्रियाकलाप निवारण अधिनियम (टाडा) के तहत टुंडा के खिलाफ आरोप तय नहीं किए जा सकते हैं.अदालत ने हालांकि कहा था कि मामले में प्रथम दृष्टया टुंडा के खिलाफ विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत मामला बनता है. टुंडा के खिलाफ इस मामले में आरोप पत्र दायर किया गया है.