नयी दिल्ली: कांग्रेस ने आज ट्राई के पूर्व अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव के रूप में नियुक्ति के लिए अध्यादेश लाने की जल्दबाजी को लेकर भाजपा पर हमला बोला और कहा कि इस प्रयास में अनौचित्य की बू आती है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने मिश्रा की नियुक्ति के लिए ऐसे समय में अध्यादेश लाने की तात्कालिकता पर सवाल खड़ा किया जब संसद की अगले सप्ताह से बैठक होने वाली है.
तिवारी ने कहा कि भाजपा बहुत ही आलोचनात्मक रही है. अब चूंकि उन्हें संसद में बहुमत प्राप्त है उन्होंने एक प्रक्रिया अपनाने का निश्चय किया जो बेहतर शब्दों के अभाव में अनौचित्य की सीमा के भीतर आती है. मिश्र की कल ही प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के रुप में नियुक्त की गयी है. इससे पहले सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर ट्राई के उस कानून में संशोधन किया जिसके तहत उनकी किसी महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति नहीं की जा सकती थी.
ट्राई कानून के तहत पद छोडने के बाद उसके अध्यक्ष एवं सदस्य केंद्र या राज्य सरकारों में कोई अन्य नौकरी नहीं कर सकते हैं. कांग्रेस महासचिव अजय माकन ने भी अध्यादेश लाने की जल्दबाजी पर सवाल खड़ा किया और कहा, अध्यादेश का रास्ता अपनाकर उन्होंने संसद की अनदेखी की है. इसी भाजपा ने कांग्रेस का उस समय विरोध किया था जब वह अध्यादेश के जरिये खाद्य सुरक्षा एवं भ्रष्टाचार निरोधक उपाय लायी थी. कांग्रेस नेता ने कहा, हमारे लिए आश्चर्य की बात मोदी एवं भाजपा सरकार द्वारा चुना गया रास्ता है. वह भी किसी जन कल्याण के लिए नहीं. भाजपा को इसे नहीं अपनाना चाहिए था.
अध्यादेश के जरिये नृपेंद्र मिश्रा बने मोदी के प्रधान सचिव
मिश्रा की कल ही प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के रुप में नियुक्त की गयी. इससे पहले सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर उस कानून में संशोधन किया जिसके तहत उनकी किसी महत्वपूर्ण पद पर नियुक्ति नहीं की जा सकती थी. ट्राई कानून के तहत पद छोड़ने के बाद उसके अध्यक्ष एवं सदस्य केंद्र या राज्य सरकारों में कोई अन्य नौकरी नहीं कर सकते हैं.
माकन ने कहा, अध्यादेश का रास्ता अपनाकर उन्होंने न केवल संसद की अनदेखी की है बल्कि आपात प्रावधानों का इस्तेमाल कर उन्होंने अपने स्वयं के मंत्रिमंडल की भी अनदेखी की है. इसी भाजपा ने कांग्रेस का उस समय विरोध किया था जब वह अध्यादेश के जरिये खाद्य सुरक्षा एवं भ्रष्टाचार निरोधक उपाय लायी थी. कांग्रेस नेता ने कहा, हमारे लिए आश्चर्यजनक बात मोदी एवं भाजपा सरकार द्वारा चुना गया रास्ता है. वह भी किसी जन कल्याण के लिए नहीं। भाजपा को इसे नहीं अपनाना चाहिए था.