नेशनल कंटेंट सेल
-किडनी के रोगी को हर माह 10000 की मदद
श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा के रहने वाले दैनिक मजदूर बिलाल (परिवर्तित नाम) को कुछ महीने पहले डॉक्टर ने उनकी दोनों किडनी के फेल होने की जानकारी दी. बिलाल के पास इलाज के पैसे नहीं थे. पांच बच्चों समेत पूरे परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी के कारण वह नौकरी भी नहीं छोड़ सकते थे.
एक दिन उन्होंने सीआरपीएफ की एक गाड़ी पर सेना की तरफ से चलाये जा रहे हेल्पलाइन ‘मददगार’ का विज्ञापन देखा. बिलाल ने हेल्पलाइन नंबर 14411 पर फोन किया. इसके बाद, हंदवाड़ा की सीआरपीएफ यूनिट की तरफ से बिलाल की स्थिति सत्यापित की गयी. अब उन्हें हर महीने इलाज के लिए 10 हजार रुपये की मदद दी जा रही है. बिलाल उन हजारों कश्मीरियों में से एक हैं, जिन्हें सीआरपीएफ की ओर से मदद मिली है. पिछले एक वर्ष में सीआरपीएफ की ‘मददगार’ विंग से लाखों लोगों ने संपर्क किया और उनमें से काफी को सहायता मिल रही है.
यह उन लोगों के लिए सबक है, जो सुरक्षा बलों को अपना दुश्मन समझ कर न सिर्फ नफरत करते हैं, बल्कि उन पर बार बार पथराव करके आतंकियों की मदद भी कर रहे हैं. साथ ही उन लोगों को भी विचार करने का एक मौका देती है, जो ऐसे लोगों के बहकावे में आकर बलों के खिलाफ दुष्प्रचार में भागीदार हैं.
67 बटालियन की जम्मू-कश्मीर में की गयी है तैनाती
16 जून 2017 को अपने लॉन्च होने के बाद से मददगार ने छेड़खानी, पानी, बिजली और सड़क निर्माण से जुड़ी परेशानियां, मेडिकल इमरजेंसी, घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न, फायर इमरजेंसी, प्राकृतिक आपदा, जबरन वसूली, नौकरी से जुड़ी जानकारी और शिक्षा, खेल के क्षेत्र में करियर बनाने संबंधित मामले सुलझाये गये हैं. 67 बटालियन की हर यूनिट (एक यूनिट में 67,000 जवान) की जम्मू-कश्मीर में तैनाती की गयी है.
पत्थरबाज लड़कियों की भी हो रही सुरक्षा
2,22,345 लोगों ने संपर्क किया एक साल में
2349 मामले में कानूनी कार्रवाई
2100 मामलों का निबटारा
80 लड़कियों की छेड़खानी पर मदद
26 बड़े ऑपरेशन पूरे, 44 होंगे
68 मामलों में नियमित रूप से दवा दी जा रही है
29 लोगों को जवानों ने दिया खून
03 परिवार को हर महीने दी जा रही है 10000 रुपये की मदद