कोच्चि : केरल उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक महिला के बलात्कार के आरोपी तीन पादरियों की अग्रिम जमानत याचिकाएं खारिज करते हुए फैसला सुनाया कि उनके खिलाफ गंभीर आरोप हैं और अगर जांच के शुरुआती चरण में ही राहत दे दी गयी तो इसका जांच पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
पादरियों अब्राहम वर्गीज उर्फ सोनी, जॉब मैथ्यू और जेस के जॉर्ज ने केरल पुलिस की अपराध शाखा द्वारा मामला दर्ज करने के बाद अदालत का दरवाजा खटखटाया था. अपराध शाखा ने मलंकारा सीरियन ऑर्थोडॉक्स चर्च के पांच में से चार पादरियों के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज किया था, जिनमें इन तीनों के नाम भी शामिल हैं. न्यायमूर्ति राजा विजयराघवन ने जमानत याचिकाएं खारिज करते हुए कहा कि आरोपियों के खिलाफ गंभीर आरोप लगे हैं. इससे पहले, अदालत ने पुलिस को महिला के पति द्वारा दर्ज करायी गयी यौन उत्पीड़न की शिकायत एवं मामले से संबंधित अन्य दस्तावेज पेश करने का आदेश दिया था.
जमानत याचिकाओं में पादरियों ने महिला का यौन उत्पीड़न करने के आरोपों से इनकार किया था. अपराध शाखा ने महिला का बयान दर्ज करने के बाद इन पादरियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. इन पादरियों का आरोप है कि राजनीतिक लाभ लेने के लिए कुछ निहित स्वार्थों द्वारा दबाव में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. इस महिला के पति ने पिछले महीने पांच पादरियों पर आरोप लगाया था कि उन्होंने उसकी पत्नी को ब्लैकमेल करके उसका यौन उत्पीड़न किया. ठोस सबूत के अभाव में पांचवें पादरी का नाम प्राथमिकी में शामिल नहीं किया गया है.