देखो रो मत देना! पालना से गिरकर 11 माह का बच्चा हुआ बेहोश, अब मां-बाप ने लिया अंगदान का फैसला

चंड़ीगढ़ : कहते हैं कि दुनिया में सबसे प्यारी चीज अपनी संतान होती है. ऐसे में सोचें एक मां-बाप पर क्या बीत रही होगी, जब उन्होंने अपने दूधमुंहे बच्चे का अंगदान का फैसला किया होगा! पढ़ें यह खबर… नेपाल के एक दंपति ने अपने 11 माह के बच्चे का अंगदान किया, जिससे पीजीआईएमईआर में भर्ती […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 13, 2018 10:04 PM

चंड़ीगढ़ : कहते हैं कि दुनिया में सबसे प्यारी चीज अपनी संतान होती है. ऐसे में सोचें एक मां-बाप पर क्या बीत रही होगी, जब उन्होंने अपने दूधमुंहे बच्चे का अंगदान का फैसला किया होगा! पढ़ें यह खबर…

नेपाल के एक दंपति ने अपने 11 माह के बच्चे का अंगदान किया, जिससे पीजीआईएमईआर में भर्ती गंभीर रूप से बीमार एक व्यक्ति को नया जीवन मिला.

परास्नातक चिकित्सा शिक्षा और शोध संस्थान (पीजीआईएमईआर) के प्रवक्ता ने बताया कि 1996 में कैडेवर (दिमागी रूप से मृत) गुर्दा प्रतिरोपण कार्यक्रम के शुरू होने के बाद से पीजीआईएमईआर अस्पतालों में अंगदान करने वालों में यह बच्चा सबसे कम उम्र का अंग दाता बन गया है.

बच्चे के माता-पिता मूल रूप से नेपाल के रहने वाले हैं लेकिन वर्तमान में यहां रह रहे हैं. प्रवक्ता ने पूरे घटनाक्रम का विवरण देते हुए बताया कि छह जुलाई को बच्चा अपने पालने में खेल रहा था.

इसी दौरान वह पलट कर उससे गिर गया. उन्होंने बताया कि इससे पहले कि मां को कुछ समझ में आता बच्चा सिर में गंभीर चोट लगने की वजह से बेहोश हो गया.

परिवार उसे तत्काल सेक्टर 32 स्थित सरकारी अस्पताल ले गया. इसके बाद बच्चे को उसी दिन पीजीआईएमईआर ले जाया गया. उन्होंने बताया कि बच्चे को होश में लाने के सारे प्रयास विफल रहे.

बच्चे के माता-पिता ने बताया कि जब चिकित्सकों ने उन्हें बुलाया तो उनका डर सही साबित हुआ. पीजीआईएमईआर के चिकित्सकों ने जब उन्हें बताया कि उनका बेटा संभवत: नहीं बच सकेगा तो उन्होंने डॉक्टर के परामर्श पर बच्चे के अंगों को दान करने के लिए अपनी हामी भर दी.

इसके बाद एक वयस्क व्यक्ति में गुर्दे का प्रतिरोपण किया गया. बच्चे के माता-पिता ने अपने आंसू रोकने की कोशिश करते हुए कहा, हम अपनी किस्मत के अलावा किसी और को दोष नहीं दे सकते.

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