नसबंदी कराने का दबाव पडने पर नक्सली दंपति ने किया आत्मसमर्पण

राजनांदगांव: छत्तीसगढ के राजनांदगांव जिले में नक्सली नेताओं द्वारा नसबंदी के लिए दबाव बनाने के बाद नक्सलवादी दंपत्ति ने आत्मसमर्पण कर दिया है. नक्सली पर 20 हजार रुपए का ईनाम घोषित है. राजनांदगांव जिले के पुलिस अधिकारियों ने आज यहां बताया कि मिलिटरी प्लाटून नंबर 56 के 20 हजार रुपए के इनामी नक्सली दम्पत्ति संदीप […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 29, 2014 6:21 PM

राजनांदगांव: छत्तीसगढ के राजनांदगांव जिले में नक्सली नेताओं द्वारा नसबंदी के लिए दबाव बनाने के बाद नक्सलवादी दंपत्ति ने आत्मसमर्पण कर दिया है. नक्सली पर 20 हजार रुपए का ईनाम घोषित है.

राजनांदगांव जिले के पुलिस अधिकारियों ने आज यहां बताया कि मिलिटरी प्लाटून नंबर 56 के 20 हजार रुपए के इनामी नक्सली दम्पत्ति संदीप उर्फ महेन्द्र केरामे और शीला उर्फ लता गोटा ने पुलिस के समक्ष आज आत्मसमर्पण कर दिया. नक्सली दंपत्ति के अनुसार नक्सली नेता दंपत्ति पर नसबंदी करने के लिए दबाव बना रहे थे जिसके कारण उन्होंने आत्मसमर्पण करने का फैसला किया है.

अधिकारियों ने बताया कि डिवीजन कमेटी सचिव पहाड सिंह के गनमैन तथा वर्तमान में प्लाटून नंबर 56 के सकि्य सदस्य संदीप उर्फ महेन्द्र केरामे (26 वर्ष) और उसकी पत्नी शीला उर्फ लता गोटा (20 वर्ष) ने आज पुलिस अधीक्षक राजनांदगांव के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया.

संदीप ने पुलिस को बताया कि वह महाराष्ट्र के कोटगुल गांव का निवासी है. वर्ष 2010 में नक्सली कमाण्डर लालसू और डिप्टी कमाण्डर जगदीश अपने साथियों के साथ गांव आया और संदीप को अपने साथ ले गया. बाद में संदीप को संगठन में शामिल कर लिया गया. जनवरी वर्ष 2011 में संदीप को डिवीजन कमेटी सचिव पहाड सिंह का गनमैन बनाया गया. इस वर्ष उसे प्लाटून नंबर 56 का सदस्य बनाया गया.

वहीं शीला ने बताया कि वह महाराष्ट्र के ग्यारहपत्ती गांव की निवासी है तथा वर्ष 2011 में वह नक्सलियों के संपर्क में आई. इस दौरान जनमिलीशिया कमांडर प्रदीप ने उसे जबरन संगठन में शामिल कर लिया. बाद में शीला को 12 बोर का एक बंदूक दिया गया.

नक्सली दंपत्ति ने बताया कि इस वर्ष जनवरी माह में डिवीजन कमेटी सचिव पहाड सिंह ने संदीप और शीला का विवाह करवाया. नक्सली दंपत्ति विवाह के बाद बच्चे चाहते थे लेकिन नक्सलियों के बडे नेता दोनों पर नसबंदी करने के लिए दबाव बना रहे थे. बाद में उन्होंने परिवार बसाकर सामान्य जीवन जीने के लिए संगठन छोडने का फैसला किया.

संदीप ने पुलिस को बताया कि पिछले कुछ वर्षों में क्षेत्र में पुलिस का दबाव काफी बढ गया है महाराष्ट्र तथा छत्तीसगढ में लगातार मुठभेड होने से लोग संगठन छोडकर जा रहे है और नई भर्ती नहीं हो पा रही है. ग्रामीणों का सहयोग मिलना भी बंद हो गया है. सुरक्षा बलों के दबाव के कारण गांव में जाना भी संभव नहीं हो पा रहा है. ऐसी स्थिति में कई दिनों भूखे ही जंगलों में भटकना पडता है.

उसने बताया कि इस महीने की 18 तारीख को महाराष्ट्र के खोब्रामेढा से आगे कोण्डे गांव के जंगल में प्लाटून नंबर 56 का कैम्प लगा हुआ था. इस कैम्प के कमांडर उमेश तथा डिप्टी कमांडर रानु समेत 12 नक्सली उपस्थित थे. संदीप की रात्रि संतरी ड्यूटी लगी थी. इस दौरान वह अपनी पत्नी शीला को अपने साथ ले लिया और दोनों हथियार छोडकर छत्तीसगढ पहुंच गए. इस दौरान उसने परिचितों की मदद से पुलिस से संपर्क किया और आत्मसमर्पण कर दिया.

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि संदीप पर पुलिस अधीक्षक राजनांदगांव की ओर से पांच हजार रुपए तथा उप पुलिस महानिरीक्षक राजनांदगांव की ओर से 15 हजार रुपए का ईनाम घोषित किया गया था. पुलिस अधिकारियों ने बताया आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को राज्य शासन के पुनर्वास योजना का लाभ दिलाया जाएगा.

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