नयी दिल्ली :संसद के बुधवार से शुरू हो रहे माॅनसून सत्र में हंगामे की आशंकाओं के बीच सरकार ने विपक्षी दलों से तीन तलाक विधेयक, पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने संबंधी विधेयक, बलात्कार के दोषियों को सख्त दंड के प्रावधान वाले विधेयक समेत कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने में सहयोग मांगा है. संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि माॅनसून सत्र के लिए सूचीबद्ध विधेयक लोकहित के हैं और सरकार इन्हें पारित कराने के लिए विपक्षी दलों से सहयोग का आग्रह करती है. इस बारे में सर्वदलीय बैठक में भी विचार-विमर्श होगा. इस सत्र के दौरान कुछ अध्यादेशों को भी विधेयक के रूप में पारित कराने के लिए पेश किया.
इन विधेयकों को पारित कराना चाहती है सरकार : तीन तलाक विधेयक, अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित विधेयक, मेडिकल शिक्षा के लिए राष्ट्रीय आयोग विधेयक और ट्रांसजेंडर के अधिकारों से जुड़ा विधेयक, आपराधिक कानून संशोधन विधेयक, सार्वजनिक परिसर अनधिकृत कब्जा को हटाने संबंधी संशोधन विधेयक 2017, दंत चिकित्सक संशोधन विधेयक 2017, जन प्रतिनिधि संशोधन विधेयक 2017, नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट अमेंडमेंट विधेयक, अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र विधेयक 2018, भगोड़ा आर्थिक अपराध विधेयक 2018.
रास के उपसभापति का चुनाव : माॅनसून सत्र के दौरान एक महत्वपूर्ण विषय राज्यसभा के उप सभापति के चुनाव से संबंधित भी है. साथ ही, वित्त वर्ष 2018-19 के अनुदान की अनुपूरक मांग के पहले बैच व संबंधित विनियोग विधेयक को चर्चा, मतदान व पारित होने के लिए पेश किया जा सकता है. किसान, कश्मीर पर घेरेगा विपक्ष: सत्र के दौरान विपक्ष जम्मू कश्मीर की स्थिति, पीडीपी-भाजपा सरकार गिरने व आतंकवाद जैसे मुद्दे उठा सकता है. किसान, दलित उत्पीड़न, राम मंदिर, डाॅलर के मुकाबले रुपये के दर में गिरावट, पेट्रो पदार्थों की कीमतों में वृद्धि जैसे मसलों पर भी विपक्ष सरकार को घेरने का प्रयास करेगा.
संसद के नये भवन के निर्माण प्रस्ताव पर होगा अमल : लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने उम्मीद जतायी है कि अगली लोकसभा के गठन के बाद संसद के नये भवन के निर्माण के प्रस्ताव पर अमल हो सकेगा. महाजन ने कहा कि संसद के नए भवन के निर्माण के विषय पर शहरी विकास मंत्रालय के साथ दो बैठक हुई हैं. हमने नये भवन के लिए कुछ वैकल्पिक स्थलों के बारे में भी सुझाव दिया है. अब तो चुनावी वर्ष में प्रवेश कर गये हैं. उम्मीद करते हैं कि अगली लोकसभा के गठन के बाद संसद के नये भवन के निर्माण के प्रस्ताव पर अमल हो सकेगा.