नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कांग्रेस पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी को हताश करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने चरण सिंह, चन्द्रशेखर, एच डी देवगौड़ा और आई के गुजराल के साथ भी यही किया था, जब इस पार्टी के सहयोग से उनकी सरकारें चल रही थीं. ‘केवल मोदी को सत्ता से बाहर रखने ‘के लिए’ बिना विचारधारा वाले अवसरवादी गठबंधन बनाने के कारण विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए जेटली ने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि भारत का ‘बेचारा’ प्रधानमंत्री नहीं हो सकता.
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों में ‘हमने देखा कि कुमारस्वामी भावुक हो गये, (उनकी) आंखें भर आईं तथा उन्होंने पुष्पगुच्छ एवं मालाएं स्वीकार करने से इंकार कर दिया.’ कांग्रेस के साथ रिश्तों में खटास आने का संकेत देते हुए कुमारस्वामी ने हाल में कहा था कि वह कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में खुश नहीं हैं तथा जिस तरह भगवान शिव ने गरल पान किया था, उसी तरह वह पीड़ाओं को झेल रहे हैं. कर्नाटक में कुमारस्वामी गठबंधन सरकार के मुख्यमंत्री हैं जहां कांग्रेस बड़ी पार्टी है.
जेटली ने कहा, ‘उन्होंने बेबाकी से अपनी बात को सार्वजनिक तौर पर रखा… एक माननीय मुख्यमंत्री के इन बयानों को सुनकर मेरी स्मृति मुझे हिंदी सिनेमा के दुखांत दौर के संवादों की ओर ले गयी.’ उन्होंने कहा कि बिना विचारधारा वाले अवसरवादी गठबंधन सदैव अपने स्वयं के विरोधाभासों में उलझ जाते हैं.
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा कि ऐसे गठबंधनों का एकमात्र उद्देश्य अस्तित्व बरकरार रखना होता है, राष्ट्र की सेवा नहीं. ऐसे गठबंधनों की आयु भी संदिग्ध रहती है. जेटली ने एक ब्लाग में कहा, ‘यदि इस प्रकार के गठबंधन का प्रधानमंत्री कैमरे के समक्ष सिर्फ इस मंशा के साथ रोएं कि वह पद कैसे छोड़ा जाए, तो यह नजारा संप्रग द्वितीय की नीतिगत अपंगुता से भी बुरा होगा.’
उन्होंने सवाल किया, ‘क्या कर्नाटक उस बात का पूर्व दृश्य है जो कांग्रेस एवं संघीय मोर्चा भविष्य के लिए वादा कर रहा है?’ उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस का दृढ़ता से मानना है कि केवल एक परिवार के सदस्य ही भारत में शासन कर सकते हैं. यदि किसी अन्य को मौका मिलेगा तो उसे उस स्थिति में धकेल दिया जायेगा कि वह अपने हाथ खड़े करे और सार्वजनिक रूप से रोने लगे.’
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पूरा देश पिछले दो माह से कर्नाटक में होने वाले घटनाक्रमों को रूचि के साथ देख रहा है. उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस द्वारा चौधरी चरण सिंह, चन्द्रशेखर, एच डी देवगौड़ा और आई के गुजराल ने जो किया, उसका यह दोहराव है. यह बिना विचारधारा वाले अवसरवादी गठबंधन है जिसका कोई सकारात्मक एजेंडा नहीं है. उसका यह स्वाभाविक परिणाम है. नकारात्मक एजेंडा का आधार है कि ‘मोदी को (सत्ता से) बाहर रखा जाए.’
जेटली ने कहा, ‘भारत के प्रधानमंत्री एवं उनकी सरकार को भारत के समक्ष आज पेश हो रही चुनौतियों से पार पाना होगा. उन्हें कर्नाटक के मुख्यमंत्री की तरह ‘ट्रेजडी किंग (दुखांत के सम्राट)’ के रूप में नहीं देखा जा सकता.’ उन्होंने कहा, ‘यदि इस तरह का गठबंधन विष का प्याला है तो इसे राष्ट्र को पिलाने के बारे में स्वप्न में भी क्यों सोचा जाए? विश्व की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था का नेता ‘बेचारा’ नहीं हो सकता.’