नयी दिल्ली : महिला एवं बाल विकास मंत्रालय सभी बाल विवाहों को अमान्य करने करने के लिए मंत्रिमंडल का रुख करने वाला है.
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यदि इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो इससे उस कानून में संशोधन हो जाएगा, जो बाल विवाहों को जारी रखने की इजाजत देता है.
हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने अक्तूबर 2017 में अपने आदेश में कहा था कि नाबालिग पत्नी के साथ यौन संबंध बलात्कार माना जाएगा क्योंकि किसी भी परिस्थिति में 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की यौन संबंधों की सहमति या इच्छा नहीं जाहिर कर सकती है.
वर्तमान में, भारत में बाल विवाह वैध है. लेकिन यदि वयस्क होने के दो साल के अंदर दोनों पक्षों में कोई एक, या उनके नाबालिग रहने की स्थिति में एक अभिभावक जिला अदालत में एक मामला दर्ज कराते हैं, तो इसे रद्द किया जा सकता है.
मंत्रालय बाल विवाह रोकथाम अधिनियम की धारा तीन में बदलाव करना चाहता है. अधिकारी ने बताया कि एक मसौदा कैबिनेट नोट वितरित किया गया है, जो बाल विवाहों को शुरू से ही अमान्य करने का प्रस्ताव करता है.
गौरतलब है कि भारत में लड़की की शादी की कानूनी उम्र 18 साल, जबकि लड़के लिए 21 साल है़ वर्ष 2011 के जनगणना पर आधारित एक अध्ययन के मुताबिक देश में 2. 3 करोड़ बालिका वधु हैं.