नयी दिल्ली : फ्रांस ने शुक्रवार को कहा कि भारत के साथ 2008 में किया गया सुरक्षा समझौता गोपनीय है और दोनों देशों के बीच रक्षा उपकरणों की संचालन क्षमताओं के संबंध में इस गोपनीयता की रक्षा करना कानूनी रूप से बाध्यकारी है. हालांकि राहुल गांधी के आज संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान भारत-फ्रांस के बीच राफेल लड़ाकू विमान के सौदे का मुद्दा उठाने के बाद फ्रांस सरकार द्वारा जारी किये गये बयान में इस बात का कोई विशिष्ट उल्लेख नहीं है कि इस गोपनीय सूचना में विमानों की कीमत का ब्यौरा शामिल है या नहीं.
गौरतलब है कि राहुल ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि सरकार के रूख के उलट फ्रांस के राष्ट्रपति ने उनसे साफ-साफ कहा था राफेल को लेकर ब्यौरा साझा करने में कोई दिक्कत नहीं है. उन्होंने साथ ही कहा कि ‘रक्षा मंत्री ने साफ तौर पर झूठ बोला है.’
फ्रांस के यूरोप एवं विदेश मामलों के मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘हमने भारतीय संसद में राहुल गांधी के बयान का संज्ञान लिया है. फ्रांस और भारत के बीच 2008 में एक सुरक्षा समझौता हुआ था, जिसके तहत दोनों देश, भागीदार द्वारा मुहैया करायी जाने वाली गोपनीय सूचना की हिफाजत करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य हैं, जो भारत या फ्रांस की सुरक्षा एवं रक्षा उपकरण की संचालन क्षमताओं को प्रभावित कर सकती है.’
उन्होंने कहा, ‘यही प्रावधान स्वाभाविक रूप से 23 सितंबर , 2016 को हुए आईजीए (अंतर सरकारी समझौते) पर भी लागू होते हैं, जो 36 राफेल विमानों तथा उनके हथियारों की खरीद के लिए हुआ.’ प्रवक्ता ने कहा, ‘जैसा कि फ्रांस के राष्ट्रपति ने नौ मार्च, 2019 को इंडिया टुडे (पत्रिका) को दिये एक साक्षात्कार में सार्वजनिक रूप से इंगित किया था, भारत और फ्रांस में, जब कोई समझौता बेहद संवेदनशील हो, हम सभी ब्यौरे सार्वजनिक नहीं कर सकते.’
कांग्रेस राफेल सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाती रही है और उपकरण एवं हथियारों की कीमत सहित उससे जुड़े ब्यौरे मांगती रही है लेकिन सरकार फ्रांस के साथ गोपनीय समझौते का हवाला देते हुए ब्यौरे साझा करने से इनकार करती रही है.