नयी दिल्ली : आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री और तेदेपा के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू ने शनिवार को कहा कि भाजपा अगर 2019 के आम चुनाव के लिए संपर्क करे तब भी उनकी पार्टी राजग में शामिल नहीं होगी. उन्होंने साथ ही कहा कि राजग सरकार के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव ‘नैतिकता बनाम बहुमत’ की लड़ाई थी. नायडू ने कहा कि तेदेपा राज्य के लोगों के लिए न्याय सुनिश्चित करने की खातिर 2014 में राजग में शामिल हुई थी और ‘हम सत्ता के भूखे नहीं हैं. हमें कभी भी कैबिनेट सीटों की आकांक्षा नहीं रही.’
उन्होंने कहा, ‘हमने आंध्र प्रदेश को न्याय दिलाने के लिए उनके (भाजपा सरकार) साथ चार साल इंतजार किया लेकिन उन्होंने राज्य के लोगों के साथ धोखा किया. हम कैसे यकीन कल लें कि वे दोबारा ऐसा नहीं करेंगे.’ नायडू ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘कल का अविश्वास प्रस्ताव हमारी नैतिकता एवं भाजपा के बहुमत के बीच लड़ाई थी.’
उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने के लिए दूसरे विपक्षी दलों का आभार जताया. नायडू ने साथ ही कहा कि तेदेपा ने अविश्वास प्रस्ताव के लिए कांग्रेस से समर्थन नहीं मांगा था और राहुल गांधी के नेतृत्व वाले दल ने अपनी मर्जी से उसका समर्थन किया. राजग सरकार ने कल करीब 12 घंटे तक चली बहस के बाद अविश्वास प्रस्ताव पर जीत हासिल की थी.
देर रात 11 बजकर 10 मिनट पर जब मतविभाजन हुआ, प्रस्ताव के पक्ष में 126 जबकि विपक्ष में 325 मत पड़े. कल अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान बीजद के संसद से बाहर चले जाने से विपक्ष की एकता में दरार का साफ पता चला था. इसे लेकर नायडू ने कहा, ‘वह (बीजद अध्यक्ष नवीन पटनायक) पुराने दोस्त हैं, वे हमारे साथ आ जायेंगे.’
मुख्यमंत्री ने दोहराया कि उनकी प्रधानमंत्री पद को लेकर कोई आकांक्षा नहीं है. यह पूछे जाने पर कि भाजपा के आंध्र प्रदेश को दूसरे लाभ देने का वादा करने पर क्या तेदेपा राजग में शामिल हो सकती है, उन्होंने कहा, ‘नहीं. मैं बस अपने राज्य के लिए न्याय चाहता हूं.’ तेदेपा विशेष राज्य के दर्जे की मांग पूरी ना होने पर इस साल की शुरूआत में भाजपा नेतृत्व वाले राजग से अलग हो गयी थी.
नायडू ने कहा कि कल अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान मोदी का उनके ‘सक्षम नेतृत्व की दागी नेताओं’ के साथ तुलना करना ‘मूर्खतापूर्ण’ था. तेदेपा अध्यक्ष ने प्रधानमंत्री के तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को उनसे ज्यादा परिपक्व बताने पर कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री से भी वरिष्ठ हूं. वे ऐसा कैसे कह सकते हैं? मैं 1995 में मुख्यमंत्री बना था जबकि मोदी 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री बनें.’
उन्होंने कहा कि ना तो मोदी और ना ही गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच की समस्याओं का हल तलाशने की कोई कोशिश की. नायडू ने कहा, ‘मोदी आशाओं के अनुरूप व्यवहार करने में नाकाम रहे. उन्हें आंध्र के लोगों को आश्वस्त करना चाहिए था. तेदेपा अविश्वास प्रस्ताव लेकर आयी थी लेकिन प्रधानमंत्री ने अपनी सुविधा के हिसाब से उसे नजरअंदाज किया और दूसरों को निशाना बनाया.’