सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बोहरा समुदाय की महिलाओं के खतने का किया विरोध
नयी दिल्ली : केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में महिलाओं का खतना करने की प्रथा का विरोध करने वाली याचिका का समर्थन करता है. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने पक्षकारों से याचिका और इस पहलू पर दलील […]
नयी दिल्ली : केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में महिलाओं का खतना करने की प्रथा का विरोध करने वाली याचिका का समर्थन करता है. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने पक्षकारों से याचिका और इस पहलू पर दलील रखने को कहा कि क्या इसे संविधान पीठ के पास भेजा जा सकता है?
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केंद्र की ओर से हाजिर अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि मैं याचिकाकर्ता का समर्थन करता हूं. वे सोमवार से दलीलें रखना शुरू कर सकते हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि वह कुछ विद्वानों और चिकित्सकों की तरफ से हस्तक्षेप करने की मांग कर रहे हैं, जो समुदाय में नाबालिग लड़कियों का खतना करने की वर्षों पुरानी परंपरा के विरोधी हैं.
एक मुस्लिम समूह की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने मामले की पहले हुई सुनवाई में कहा था कि शुरुआती सुनवाई के दौरान मामले को संविधान पीठ के पास भेजा जाए, क्योंकि यह धर्म के अनिवार्य दस्तूर के मुद्दे से जुड़ा है, जिसका परीक्षण किये जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा था कि महिलाओं का खतना किया जाना धार्मिक और पारंपरिक प्रथा है और अदालतों को इस क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.
शीर्ष अदालत ने पिछली नौ जुलाई को दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में नाबालिग लड़कियों का खतना किये जाने की प्रथा पर सवाल उठाते हुए कहा था कि यह बच्ची की शारीरिक ‘अक्षुण्णता’ का उल्लंघन करता है.