नयी दिल्ली : भीड़ द्वारा पीट – पीटकर हत्या की घटनाओं को रोकने के लिए केन्द्र ने सभी राज्यों से हर जिले में पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी को नियुक्त करने , खुफिया जानकारी एकत्रित करने के लिए विशेष कार्यबल गठित करने और सोशल मीडिया की सामग्री पर करीबी नजर रखने को कहा ताकि बच्चा चोरी या मवेशी तस्करी के संदेह में किसी पर हमला नहीं किया जा सके.
केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि जहां भी यह पाया जाये कि कोई पुलिस अधिकारी या जिला प्रशासन का कोई अधिकारी भीड़ द्वारा हिंसा और हत्या की किसी घटना को रोकने , जांच करने और इसकी शीघ्र सुनवाई में मदद के किसी निर्देश का पालन करने में नाकाम रहा है तो इसे जानबूझकर लापरवाही और कदाचार का कृत्य माना जाना चाहिए और संबंधित अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.
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उच्चतम न्यायालय द्वारा इस संबंध में 17 जुलाई को दिये निर्देश के बाद राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को यह परामर्श भेजा गया है. राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और डीजीपी को भेजे गये परामर्श में कहा गया , बच्चा चोरी , चोरी , मवेशी तस्करी जैसी बिना सत्यापन की खबरों और विभिन्न प्रकार की अफवाहों से देश के कुछ भागों में भीड़ द्वारा हत्या और हिंसा की घटनाएं गंभीर चिंता का विषय हैं.
लोगों द्वारा कानून को अपने हाथ में लेने की ये घटनाएं विधि के शासन के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है. इसमें कहा गया , सभी राज्य सरकारों , केन्द्र शासित प्रदेश प्रशासनों और उनकी विधि प्रवर्तन एजेंसियों से उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को शब्दश : लागू करने का आग्रह किया जाता है.
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इस मामले में कार्रवाई पर विस्तृत रिपोर्ट जल्द से जल्द मंत्रालय को भेजी जाए. एक महीने के भीतर इस मुद्दे पर यह दूसरा परामर्श है. यह कदम ऐसे समय उठाया गया जब इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिये कानूनी ढांचे को लेकर सुझाव हेतु गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले मंत्रिसमूह और केन्द्रीय गृह सचिव की नेतृत्व वाली समिति का गठन किया गया है.
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