INX मीडिया मामला : चिदंबरम को 1 अगस्त तक गिरफ्तारी से राहत
नयी दिल्ली: पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदंबरम को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में उनके खिलाफ एक अगस्त तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया. न्यायमूर्ति ए के पाठक ने हालांकि चिदंबरम को ईडी की जांच में जरुरत पड़ने […]
नयी दिल्ली: पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदंबरम को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को आईएनएक्स मीडिया धन शोधन मामले में उनके खिलाफ एक अगस्त तक कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया.
न्यायमूर्ति ए के पाठक ने हालांकि चिदंबरम को ईडी की जांच में जरुरत पड़ने पर सहयोग करने और अदालत की अनुमति के बिना देश छोड़कर नहीं जाने का निर्देश दिया. अदालत ने वरिष्ठ कांग्रेसी नेता की अग्रिम जमानत याचिका पर ईडी का जवाब मांगा.
जांच एजेंसी ने विचारणीयता के बिन्दु पर इस याचिका का विरोध किया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता 3,500 करोड़ रुपये के एयरसेल – मैक्सिस सौदे और 305 करोड़ रुपये के आईएनएक्स मीडिया मामले में एजेंसियों की जांच के घेरे में हैं. संप्रग एक सरकार में वित्त मंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान इन दोनों सौदों को एफआईपीबी से मंजूरी मिली थी.
ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि चिदंबरम फोरम शॉपिंग (यानी एक ही मामले में राहत पाने के लिए अलग – अलग अदालतों का दरवाजा खटखटाना) कर रहे हैं जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती. अधिवक्ता अमित महाजन के साथ पेश हुए मेहता ने कहा कि एयरसेल – मैक्सिस मामले में चिदंबरम ने अग्रिम जमानत के लिए निचली अदालत का दरवाजा खटखटाया और आईएनएक्स मीडिया मामले में राहत के लिए वह उच्च न्यायालय पहुंचे.
चिदंबरम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डी कृष्ण और वकील पी के दुबे ने कहा कि उन्हें मुख्य मामले में गिरफ्तारी का अंदेशा है क्योंकि सीबीआई ने कहा था कि कांग्रेस नेता से हिरासत में पूछताछ करने की जरुरत है. वकीलों ने कहा कि यह मामला उसी लेनदेन का है जिसमें सीबीआई ने भी मामला दर्ज किया था. इसमें केवल यही अंतर है कि यह याचिका निदेशालय के मामले से संबद्ध है जबकि दूसरी याचिका सीबीआई की है जिसमें चिदंबरम को पहले ही गिरफ्तारी से संरक्षण मिल गया है.
वकील अर्शदीप सिंह के जरिए दाखिल की गई याचिका में कहा गया कि निदेशालय ने इस मामले में पूर्व वित्त मंत्री को कोई सम्मन नहीं भेजा लेकिन उन्हें केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जारी किए गए सम्मन के मद्देनजर गिरफ्तारी का अंदेशा है.