नयी दिल्ली: वरिष्ठ अधिकारियों के एक पैनल ने देश के विभिन्न हिस्सों में भीड़ हत्या के बढ़ते मामलों पर रोक लगाने के लिए एक नया कानून लागू करने की संभावना परशनिवार को चर्चा की. उच्चतम न्यायालय में याचिका डालने वाले और इस अपराध की रोकथाम के संबंध में सरकार के लिए कई निर्देश जारी कराने में सफल रहे तहसीन पूनावाला आज सचिवों की कमेटी के समक्ष पेश हुए और उन्होंने दोषियों को उम्रकैद की सजा के प्रावधान वाला नया कानून लाने के संबंध में मजबूती से पक्ष रखा.
भीड़ हत्या निरोधी विधेयक या मासूका (मानव सुरक्षा कानून) लाने पर जोर दे रहे पूनावाला ने बताया कि केंद्रीय गृह सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता में पैनल के साथ हुई बैठक लाभप्रद रही और उन्होंने दंगों और भीड़ हिंसा के बीच के अंतर को समझाया जिन्हें एकसाथ लिंचिंग अथवा भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या करना कहा जा सकता है.
उन्होंने कहा कि भीड़ हत्या की घटना गुस्सा, नफरत, डर जैसे कारकों के कारण हो सकती है और इसलिए ऐसे हर अपराध को अलग-अलग परिभाषित करने की जरूरत है. पूनावाला ने कहा कि उन्होंने पैनल को बताया कि जब भी एक विशेष कानून लागू किया जाता है तो उससे संबंधित अपराध की घटनाएं कम हो जाती हैं. उन्होंने भीड़ हत्या के पीड़ितों के परिवार को न्यूनतम 25 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी सुझाव दिया. गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के एक समूह को चार हफ्ते के भीतर रिपोर्ट सौंपेने से पहले यह समिति इस मामले पर और विचार-विमर्श कर सकती है. मंत्रीसमूह अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपेगा.