नयी दिल्ली : ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ, रामदास, तुकाराम के संदेश का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इनके संदेश न केवल जन सामान्य को शिक्षित करने का, बल्कि अंधश्रद्धा के खिलाफ लड़ने का समाज को मंत्र देते हैं. रविवार को आकाशवाणी पर प्रसारित 46वीं ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने ये बातें कहीं.
उन्होंने कहा, ‘ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ, रामदास, तुकाराम जैसे अनगिनत संत आज भी जन-सामान्य को शिक्षित कर रहे हैं, अंधश्रद्धा के खिलाफ लड़ने की ताकत दे रहे हैं और हिंदुस्तान के हर कोने में यह संत परंपरा प्रेरणा देती रही है.’ उन्होंने कहा कि चाहे वो उनके भारुड हो या अभंग, हमें उनसे सद्भाव, प्रेम और भाईचारे का महत्वपूर्ण संदेश मिलता है.
मोदी ने कहा कि ऐसे संतों ने समय-समय पर समाज को रोका, टोका और आईना भी दिखाया. उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कुप्रथाएं समाज से खत्म हों और लोगों में करुणा, समानता और शुचिता के संस्कार आयें. उन्होंने कहा कि हमारी यह भारत-भूमि बहुरत्ना वसुंधरा है, जहां समर्पित महापुरुषों ने, इस धरती पर अपने जीवन का बलिदान कर दिया.
एक ऐसे ही महापुरुष हैं लोकमान्य तिलक, जिन्होंने भारतीयों के मन में अपनी गहरी छाप छोड़ी है. मोदी ने कहा, ‘हम 23 जुलाई को तिलक जी की जयंती और एक अगस्त को उनकी पुण्यतिथि पर उनका पुण्य स्मरण करते हैं.’
उन्होंने कहा कि लोकमान्य तिलक के प्रयासों से ही सार्वजनिक गणेश उत्सव की परंपरा शुरू हुई. सार्वजनिक गणेश उत्सव परंपरागत श्रद्धा और उत्सव के साथ-साथ समाज-जागरण, सामूहिकता, लोगों में समरसता और समानता के भाव को आगे बढ़ाने का एक प्रभावी माध्यम बन गया था.
प्रधानमंत्री ने कहा कि उस कालखंड में जब अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के लिए एकजुट होने की जरूरत थी, तब इन उत्सवों ने जाति और सम्प्रदाय की बाधाओं को तोड़ते हुए सभी को एकजुट करने का काम किया. उन्होंने कहा, ‘समय के साथ इन आयोजनों की प्रसिद्धि बढ़ती गयी.’
मोदी ने कहा कि इसी से पता चलता है कि हमारी प्राचीन विरासत और इतिहास के हमारे वीर नायकों के प्रति आज भी हमारी युवा-पीढ़ी में लगाव है. यह एक टीम के रूप में काम करने और नेतृत्व और संगठन जैसे गुण सीखने का अवसर है.
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान 1916 में लोकमान्य तिलक की अहमदाबाद यात्रा और उनके निधन के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा अहमदाबाद में उनकी एक प्रतिमा लगाने की घटना का जिक्र किया. 1929 में इसका उद्घाटन महात्मा गांधी ने किया था.
उन्होंने शुरुआत बारिश से की. कहा कि कहीं अच्छी बारिश हो रही है, तो कहीं बारिश से तबाही मची है. इसके लिए बारिश को क्या दोष देना. प्रकृति के साथ खिलवाड़ को उन्होंने इसके लिए जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने लोगों से अपील की कि वे प्रकृति प्रेमी बनें. प्रकृति के संरक्षक बनें. यदि हम प्रकृति के साथ जीयेंगे, तो कोई समस्या नहीं रहेगी.
-अगस्त महीना इतिहास की अनेक घटनाओं, उत्सवों की भरमार से भरा रहता है. मैं आप सभी को उत्तम स्वास्थ्य के लिए, देशभक्ति की प्रेरणा जगाने वाले, अगस्त महीने के लिए और अनेक उत्सवों के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं.
-अभी कुछ ही दिन पहले फिनलैंड में चल रही जूनियर अंडर-20 विश्व एथेलेटिक्स चैम्पियनशिप में 400 मीटर की दौड़ में भारत की बहादुर बेटी और किसान पुत्री हिमा दास ने गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा है.
-ये मेरा सौभाग्य रहा कि मुझे मध्यप्रदेश में चंद्रशेखर आजाद के गांव अलीराजपुर जाने का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ. एक बार फिर से भारत माता के दो महान सपूतों लोकमान्य तिलक और चंद्रशेखर आजाद को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं.
-पंढरपुर महाराष्ट्र के सोलापुर जिले का एक पवित्र शहर है. पंढरपुर वारी अपने आप में एक अद्भुत यात्रा है. इस यात्रा, जिसे वारी कहते हैं, में लाखों की संख्या में वारकरी शामिल होते हैं. यह वारी शिक्षा, संस्कार और श्रद्धा की त्रिवेणी है. पंढरपुर में विठोबा मंदिर जाना और वहां की महिमा, सौंदर्य, आध्यात्मिक आनंद का अपना एक अलग अनुभव है. मेरा आप सभी से आग्रह है कि अवसर मिले, तो एक बार जरूर पंढरपुर वारी का अनुभव लें.
-ऐसे ही एक महापुरुष हैं लोकमान्य तिलक, जिन्होंने अनेक भारतीयों के मन में अपनी गहरी छाप छोड़ी है. हम 23 जुलाई, को तिलक जी की जयंती और 01 अगस्त, को उनकी पुण्यतिथि में उनका पुण्य स्मरण करते हैं.
-मैं लोकमान्य तिलक और अहमदाबाद में उनकी एक प्रतिमा के साथ जुड़ी हुई एक रोचक घटना आज देशवासियों के सामने रखना चाहता हूं.
-मुझे पूरा यकीन है कि मेरा युवा-मित्र कॉलेज जीवन की शुरुआत को लेकर काफी उत्साही और खुश होंगे. प्रधानमंत्री ने मध्यप्रदेश के अत्यंत गरीब परिवार के आशाराम चौधरी का जिक्र करते हुए कहा कि आशाराम ने जीवन की मुश्किल चुनौतियों को पार करते हुए सफलता हासिल की है.
-मोदी ने कहा, ‘कुछ दिन पहले मेरी नजर एक खबर पर गयी, जिसमें लिखा था : ‘दो युवाओं ने किया मोदी का सपना साकार’. खबर पढ़ी, तो जाना कि कैसे हमारे युवा टेक्नोलॉजी का स्मार्ट और क्रियेटिव यूज करके सामान्य व्यक्ति के जीवन में बदलाव का प्रयास करते हैं.
-जुलाई और अगस्त का महीना किसानों और सभी नौजवानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं. यही वक्त होता है, जब कॉलेजेज का पीक सीजन होता है. ‘सत्यम’ जैसे लाखों युवा स्कूल से निकलकर कॉलेजेज में आते हैं.
-पिछले दिनों हमारे देश के प्रिय कवि नीरज जी हमें छोड़कर चले गये. नीरज जी की एक विशेषता रही थी. आशा, भरोसा, दृढ़संकल्प, स्वयं पर विश्वास, हर बात प्रेरणा दे सकती है. मैं नीरज जी को आदरपूर्वक श्रद्धांजलि देता हूं.
–पिछले दिनों एक प्राकृतिक आपदा की घटना ने पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित किया. थाईलैंड में 12 किशोर फुटबॉल खिलाड़ियों की टीम और उनके कोच भारी बारिश के कारण गुफा के अंदर 18 दिनों तक एक छोटे से टीले पर रुके रहे. एक तरफ वो संकट से जूझ रहे थे, तो दूसरी तरफ पूरे विश्व में मानवता एकजुट होकर के ईश्वरदत्त मानवीय गुणों को प्रकट कर रही थी.
-कहीं पर अधिक वर्षा के कारण चिंता की खबर आ रही है, तो कुछ स्थानों पर अभी भी वर्षा की प्रतीक्षा हो रही है. मनुष्य ही है, जिसने प्रकृति से संघर्ष का रास्ता चुना है. उसी का नतीजा है कि कभी-कभी प्रकृति हम से रूठ जाती है. हम सबका दायित्व बनता है कि हम प्रकृति प्रेमी बनें, प्रकृति के रक्षक बनें, प्रकृति के संवर्धक बनें, तो प्रकृतिप्रदत्त वस्तुओं में संतुलन अपने आप बना रहेगा.
The #MannKiBaat programme starts at 11 this morning. Do tune in.
You can also hear it live via the ‘Narendra Modi Mobile App.’
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— Narendra Modi (@narendramodi) July 29, 2018
हर महीने के अंतिम रविवार को प्रसारित होने वाला यह कार्यक्रम आकाशवाणी और दूरदर्शन के सभी नेटवर्क से प्रसारित कियाजारहा है. प्रधानमंत्री कार्यालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, आकाशवाणी और दूरदर्शन समाचार के यू-ट्यूब चैनलों पर भी यह उपलब्ध है. मोदी ने 3 अक्तूबर, 2014 से मन की बात की शुरुआत की थी. प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’का विषय देश भर के लोगों के सुझावों पर आधारित होता है.