नयी दिल्ली : केंद्र ने आज सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि आगरा में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के संयुक्त सचिव और आगरा मंडल के आयुक्त ताज ट्रेपेजियम जोन की देखरेख के लिए जिम्मेदार हैं. न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने 26 जुलाई को कहा था कि कि ताजमहल के संरक्षण की जिम्मेदारी किसी न किसी को लेनी होगी.
पीठ ने इसके साथ ही केंद्र से कहा था कि केंद्रीय और उत्तर प्रदेश सरकार के उन विभागों की जानकारी दी जाये जो ताज ट्रेपेजियम जोन की देखरेख और संरक्षण के लिए जिम्मेदार होंगे. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने न्यायालय को बताया कि उसके महानिदेशक दुनिया के सात अजूबों में शामिल विश्व धरोहर ताज महल की देखरेख के लिए जिम्मेदार हैं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने यह भी बताया कि उसने 2013 में ही ताजमहल के बारे में एक योजना यूनेस्को को सौंपी थी.
शीर्ष अदालत ने इस तथ्य का संज्ञान लिया कि ताज महल के बारे में पांच साल पहले योजना यूनेस्को को सौंपी गयी थी और यही वजह थी कि यूनेस्को जैसे संगठन ने ताज महल की स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की थी. पीठ ने इस संबंध में टिप्पणी की, ‘ताज महल के बारे में हमारा सरोकार तो यूनेस्को से कहीं अधिक होना चाहिए.’ शीर्ष अदालत ने इससे पहले ताज महल की खूबसूरती बहाल करने में विफल रहने के लिए केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार और ताज ट्राइपेजियम प्राधिकरण को आड़े हाथ लिया था. न्यायालय ने सवाल किया था कि अगर यूनेस्को ताज महल का विश्व धरोहर का तमगा वापस ले ले तो क्या होगा.
न्यायालय ने ताज महल के संरक्षण के लिए दृष्टि पत्र का मसौदा दाखिल करने के लिए भी उत्तर प्रदेश सरकार को आड़े हाथ लेते हुए टिप्पणी की थी कि यह बड़े आश्चर्य की बात है कि इस प्रक्रिया के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण से परामर्श नहीं किया गया जबकि वह संगमरमर के इस स्मारक के संरक्षण के लिए जिम्मेदार है. उच्चतम न्यायालय ताज महल को वायु प्रदूषण से संरक्षण प्रदान करने के लिए दायर जनहित याचिका पर ताज महल और इसके आस पास के इलाकों में प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों की निगरानी कर रहा है.